छिंदवाड़ा- आज गोंडवाना समाज के अमर शहीद राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह के 163 वे बलिदान दिवस के उपलक्ष में स्थानीय रानी दुर्गावती चौराहा खजरी रोड छिंदवाड़ा में श्रद्धांजलि कार्यक्रम एवं बलिदान दिवस आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश अजाक्स आदिवासी विकास परिषद आदिवासी संघ आकाश संघ एवं एससी एसटी के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं सदस्यगण उपस्थित होकर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
जैसा कि आपको विदित है कि बावनगढ़ गोंडवाना समाज के अंतिम शासक महाराज शंकर शाह ने अपने पुत्र युवराज रघुनाथ शाह मरावी को संदेश दिया और युवराज रघुनाथ शाह मरावी से कहा कि कपटी अंग्रेज हमारे भारत भूमि में व्यापार करने के उद्देश्य आए और देश की बागडोर अपने हाथ में लेकर धर्म संस्कृति को नष्ट कर ईसाई मिशनरियों को जबरदस्ती शामिल कर रहे हैं देश व धर्म पर हमला हो रहा है भारत इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर सकेगा। यह युद्ध हमारे लिए महत्वपूर्ण होगा इस युद्ध में हम मर भी जाए तो हमें गर्व होगा। हम अपने मातृभूमि की रक्षा में समर्पित है हमारे प्राण हमारे देश की सुरक्षा के काम आए हम भारत की रक्षा से हर कदम आगे रहेंगे। पिता की इस बात को सुनकर युवराज रघुनाथ शाह गदगद हो गए और अपने राज्य के सैनिकों को कहा कि हमें महाराज ने हुक्म दिया है कि हम अपने वतन वह मातृभूमि की सुरक्षा के लिए तैयार हो जाएं अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ना हमारा परम कर्तव्य एवं धर्म है इसी उद्देश को लेकर अंग्रेजो के खिलाफ शशक क्रांति की गई। जैसा की आपको विदित है कि 1857 ईसवी में जबलपुर में तैनात अंग्रेज की 52 वी रेजिमेंट का कमांडर Krone था वह छोटे राजाओ जमीदारों एवं जनता को बहुत परेशान करता था यह देखकर गोंडवाना जबलपुर के राजा शंकर शाह ने उनके अत्याचारों का विरोध करने का निर्णय लिया एवं राजकुमार और उनके पिता दोनों अच्छे कवि थे उनके वीरता की गीत आज भी गाए जा रहे हैं अंग्रेजों द्वारा किसी को भी चिथड़े उड़ा देना उनके लिए नई बात नहीं थी लेकिन मौत के सामने भी अपनी कविताओं के जरिए लोगों में क्रांति की भावना जागृत करना अमर शहीद राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह के लिए कोई कड़ी चुनौती नहीं थी उन्होंने क्रांति की कविताएं लिखकर लोगों को जागृत किया एवं अंग्रेजों से लोहा लिया आज उनकी याद में यह बलिदान दिवस मनाया गया