स्टेड डेस्क/छिंदवाड़ा- अनियमितताओं और शासकीय राशि के दुरुपयोग जैसे अनेकों मामलों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाला आदिवासी विकास विभाग इन दिनों अपने ही सहायक संचालक की करतूतों के चलते सुर्खियों में बना हुआ है…? यहां पदस्थ सहायक संचालक सीके दुबे पर लगातार विभाग में पदस्थ महिला कर्मचारियों के साथ छेड़छाड़ अभद्रता अश्लील हरकत सहित विभागीय प्राचार्यों के साथ अभद्रता और जातिगत द्वेष से गाली गलौज करने के आरोप लगे हैं. लगातार इन आरोपों से घिरे सहायक संचालक की शिकायतों के बावजूद भी उन्हें ना ही हटाया गया है और ना ही जिम्मेदार आला अधिकारी इन मामलों को लेकर किसी निष्कर्ष पर पहुंचे हैं.
ऐसे ही संयुक्त मामलों को लेकर आज मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ की जिला इकाई के पदाधिकारियों ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपते हुए उक्त आशय के आरोप लगाए हैं. उक्त जानकारी देते हुए संघ के जिला अध्यक्ष डॉक्टर पीआर चंदेलकर, उपाध्यक्ष एवं विधिक सलाहकार एनसी गजभिए, सदस्य मोहन डेहरिया एवं अन्य ने जानकारी देते हुए ज्ञापन के माध्यम से बताया कि बीते 2013 में जुन्नारदेव एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में प्राचार्य के पद पर रहते हुए सहायक संचालक सीके दुबे ने तत्कालीन महिला अधीक्षक के साथ अश्लील हरकतें छेड़छाड़ की थी जिसकी शिकायत के बाद आज तक सुनवाई लंबित है . वहीं दूसरा मामला सहायक आयुक्त कार्यालय में पदस्थ चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मचारी के साथ 31-08-2019 को अश्लील हरकत छुआछूत और प्रताड़ना का मामला हुआ, जिसकी भी पुलिस में शिकायत की गई लेकिन आज तक मामला लंबित है. अजाक्स संघ के सदस्यों ने बताया कि 30 9 2020 को कन्या परिसर छिंदवाड़ा में कार्यरत अधीक्षक के साथ अश्लील इशारे कर प्रताड़ित किया गया था उसकी भी कार्यवाही शिकायत के बाद लंबित है. उन्होंने बताया कि हर्रई अमरवाड़ा विकासखंड के एससी एसटी प्राचार्य एवं प्रभारी प्राचार्य को जातिगत द्वेष की भावना से डांट फटकार कर रुपयों की डिमांड की जाती है रुपए ना देने पर तरह तरह से धमकी देने जैसी शिकायतें भी हैं?
संघ ने कलेक्टर को ज्ञापन देते हुए यह मांग की है कि श्री दुबे को तत्काल सहायक आयुक्त कार्यालय छिंदवाड़ा से हटाकर अन्यत्र पदस्थ कर लंबित जांच जल्द से जल्द पूरी की जाए. संघ ने मांग की है कि श्री दुबे के रहते जांच प्रभावित होगी इसलिए उन्हें तत्काल हटाया जाए…
बहरहाल यहां चिंता की बात यह है कि इतने गंभीर आरोप लगने के बाद भी सहायक संचालक पर आज तक किसी किस्म की कार्यवाही ना होना, कई सवालों को जन्म देता है? साथ ही ऐसे गंभीर मामलों की जांच सालों तक लंबित रहना भी महिला कर्मचारियों के हित में नहीं है. इन्हीं वजहों से महिलाओं पर प्रताड़ना और अत्याचार के मामले अनवरत बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में महिला हित और उनकी सुरक्षा आत्मसम्मान को दृष्टिगत रखते हुए अविलंब जांच पूरी कर कार्यवाही की जाना चाहिए. वहीं सहायक संचालक और सहायक आयुक्त से संपर्क ना होने के कारण उनका मत नहीं लिया जा सका है…
Md ज़ाहिद खान, एडिटर इन चीफ़ 9425391823