भारत देश में नर सेवा- गौ सेवा एक बड़ा धैय है,- कहा जाता है कि पुण्य अर्जन के लिए यह मार्ग बहुत ही सुगम और सरल है. सनातन धर्म इस और खासा बल देता है. हमारे देश में जहां नर चिकित्सा के विभाग है तो वही पशु चिकित्सा विभाग भी है. लेकिन शर्मनाक है कि पशु विभाग गौवंश सेवा की राशि में बंदरबांट कर रहा है…

स्टेड डेस्क- मुक पशुओं के लिए शासन से मिलने वाली राशि में शर्मनाक तरीके से बंदरबांट किए जाने का मामला छिंदवाड़ा पशु चिकित्सा विभाग में आया है जहां अधिकारियों ने शासन की राशि की जमकर बंदरबांट मचा रखी है। हालांकि इस खुलासे में यह भी स्पष्ट हुआ है कि बीते कई वर्षों से यह गोलमाल चल रहा है और इस को अंजाम देने वाले एक-दो अधिकारी तो दूसरे शहर में स्थानांतरित हो चुके हैं मगर आज भी उनके शिष्य और एजेंट इस परंपरा को बनाए रखे हुए हैं..?


गौरतलब है कि पशु चिकित्सा विभाग छिंदवाड़ा के एक अधिकारी को कई बार आला अधिकारियों के नोटिस पहुंच चुके हैं लेकिन इसके बाद भी कोई जवाब नहीं दिया गया है इस मामले में हमारी टीम ने पड़ताल की तो सूत्रों ने जो बताया वह चौंकाने वाला था बताया जाता है कि पशु विभाग के अधिकारी मिलकर सेटिंग की जुगत में भिड़े हुए हैं जिसके चलते वह कागजी पत्राचार से बच रहे हैं लेकिन सेटिंग का मामला तो अलग है आला अधिकारी के लेटर पर जवाब ना मिलना यह बताता है कि इनके सर पर किसका वरदहस्त है?
यहां शर्मनाक बात तो यह है कि पशुओं की राशि का जमकर बंदरबांट हुआ है फर्जी बिलों पर भुगतान लंबा चौड़ा किया गया है कुछ फर्म तो ऐसी है जो छिंदवाड़ा में है ही नहीं, और उनके नाम पर लाखों का भुगतान हुआ है।

कौन सच्चा-कौन झूठा..?
इस संबंध में पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक का कहना है कि मामले की जांच जिला पंचायत की टीम कर रही है और हमने उन्हें दस्तावेज मुहैया करा दिए हैं लेकिन जिला पंचायत से मिली जानकारी से यह स्पष्ट होता है कि अब तक पशु चिकित्सा विभाग के द्वारा दस्तावेज मुहैया नहीं कराए गए हैं..? तो ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि आखिर कौन सच्चा है और कौन झूठा..? वहीं विभागीय सूत्रों की माने तो जिस फर्म के नाम पर कुक्कुट पालन विभाग ने लाखों के भुगतान कर दिए हैं उस फर्म के नाम पर छिंदवाड़ा में चूजे उत्पादन(मदर यूनिट) केंद्र है ही नहीं? तो फिर विभाग ने इस फर्म के नाम से अनुबंध कैसे कर लिया..? गंभीर बात तो यह है कि उप संचालक पशु चिकित्सा का कहना है कि जिस फार्म को चूजे सप्लाई का आदेश दिया गया है वह फर्म, फर्जी नहीं है.?

निजी अकॉउंट में शासकीय राशि..?
दरअसल यह मामला और भी गंभीर तब हो जाता है जब विभाग के द्वारा निजी बैंक अकाउंट में शासकीय राशि डाली जाती है। विभागीय सूत्रों की माने तो विभाग के एक अधिकारी द्वारा अपने निजी अकाउंट में भुगतान की राशि लंबे समय से डलवाते आ रहे हैं। ऐसे में यह मामला और भी गंभीर हो जाता है.? अब देखना यह है कि विभाग जिला पंचायत की जांच में कितना सहयोग करता है…

हम अगले एपिसोड में इस बात का खुलासा करेंगे कि किस तरह से तथाकथित फर्म को चूजे सप्लाई का आदेश दिया गया.? किस डॉक्टर के निजी बैंक खाते में शासकीय राशि ट्रांसफर हुई.? कैसे 1 रिटायर्ड अधिकारी ने जमाया व्यापार…? पढें अगले एपिसोड में….

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