अत्याधुनिक कृषि तकनीकों से जिले में गेहूं फसल का बढ़ा रकबा
ज़ाहिद खान, एडिटर इन चीफ़ 9425391823
स्टेड डेस्क- भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। लगभग 70 प्रतिशत लोग कृषि या कृषि आधारित उद्योगों पर निर्भर है। भारत में पुरातन काल से कृषि की जा रही है। साठ के दशक में हरित क्रांति का नया दौर शुरू हुआ और भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्म-निर्भर हुआ। कृषि को नित नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने के लिये आधुनिक तकनीक, खाद-बीज, उर्वरक व अत्याधुनिक संयंत्रों का प्रयोग कर कृषि को लाभकारी बनाया जा रहा है। जिले में इस वर्ष गेहूं का रकबा 1.34 लाख बढ़ा है । यह रकबा वर्तमान ज्ञान व आवश्यकता, सिंचाई साधन, आधुनिक तकनीक, खाद-बीज, उर्वरक, अत्याधुनिक संयंत्रों व किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन व प्रेरणा से बढ़ा है । वर्ष 2018-19 में गेहूं का रकबा 1.35 लाख हेक्टेयर था, वहीं 2019-20 में यह बढ़कर 2.87 लाख हेक्टेयर हो गया। इस वर्ष अच्छी वर्षा होने व सिंचाई के साधन बढ़ने से तथा असामयिक आंधी, तूफान, ओले आदि प्राकृतिक आपदायें नहीं होने से जहां चारों तरफ खेतों में गेहूं की लहलहाती फसल दिखाई दे रही है और सभी के मन को आकर्षित कर रही है, वहीं अन्नदाता किसान अपनी फसल को देखकर भावी सपने को साकार करने की राह देख रहा है।
उप संचालक कृषि जे.आर.हेडाऊ ने बताया कि जिले में खेत तैयार करने से लेकर बुआई-कटाई और गाहनी के लिये आधुनिकतम मशीनें उपलब्ध है। इसके साथ ही जहां उन्नत किस्म के बीज-खाद व कीटनाशक दवाओं के प्रयोग से गेहूं का रकबा बढ़ा है, वहीं कृषकों का मनोबल बढ़ा है और प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल से अधिक उत्पादन होने की संभावना है जो किसानों के लिये प्रसन्नता देने वाला है। जल संसाधन विभाग के अधीक्षण यंत्री ने बताया कि जिले में लघु व एक मध्यम सिंचाई परियोजनाओं, पेंच वृहद परियोजना की नहरों और माईक्रो सिंचाई परियोजनाओं से जिले के एक लाख 20 हजार 414 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है जिससे किसानों को अपनी फसल का विपुल उत्पादन लेने में सहायता मिल रही है ।