स्टेट डेस्क/छिंदवाड़ा- ग्राम पंचायत में काम करने वाले चौकीदार, भृत्य, पंप आपरेटर, स्कूलों में छात्रावासों के भृत्य, सफाई कर्मी, खाना बनाने वाली महिला कामगार, अंशकालीन कर्मचारी, अस्पतालों सहित हजारों आउटसोर्स, अस्थाई, ठेका कर्मचारी 15-20 साल से अन्याय के शिकार हैं, यह सभी कामगार हिंदू हैं, जिन्हें खुद को हिन्दुओं की सरकार बताने वाले जिंदा रहने लायक मेहनताना नहीं दे रहे है, यह सभी हिन्दू कामगार भुखमरी की कगार पर हैं, जिनसे भाजपा की सरकार 2 से 5 हजार रूपए में 12-14 काम करा रही है, जबकि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन 11,800 है, जो हर कामगार कर्मचारी वर्ग को मिलना ही चाहिए। धरने को संबोधित करते हुए अस्थाई कर्मचारी मोर्चा के प्रांतीय अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने यह बात कही।
शर्मा ने कहा कि अन्याय के खिलाफ 22 सितंबर को भोपाल में कामगार क्रांति आंदोलन होगा, जिसमें हजारों की संख्या में अस्थाई कर्मचारी छिंदवाडा पाण्डुर्ना से शामिल होंगे है। बैठक के बाद रैली निकालकर कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर न्यूनतम वेतन और स्थाई कर्मचारी बनाने की मांग की गई। ग्राम पंचायत चौकीदार, भृत्य, पंप आपरेटर की मांगों का एक ज्ञापन जिला पंचायत अध्यक्ष संजय पुनार को देकर वेतन विसंगतियां समाप्त कराने का अनुरोध किया।
ग्राम पंचायत कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष राजू कुडापे की अध्यक्षता में सैकडों की संख्या में कामगार कर्मचारी दीन दयाल पार्क में धरने पर बैठे। धरने में संतोष उईके, नेमीशरण विश्वकर्मा, कृष्णा मांजरीवार, कैलाश सनेसर, मोनेश्वर इवनाती, रवि धुर्वे, अंशकालीन कर्मचारी सुरेश पवार, मेहमूद खान, सहित बडी संख्या में कामगार शामिल हुए।
ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स, अस्थाई, ग्राम पंचायत कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने कहा कि “मैं भी चौकीदार” का नारा लगाकर वोट मांगने वाली सरकार में पंचायतों के चौकीदार भुखमरी की कगार पर हैं, जिन्हें जिंदा रहने लायक वेतन भी नहीं मिलता है, यही स्थिति स्कूलों, छात्रावासों के अंशकालीन कर्मियों की है, इनसे 2 से 5 हजार में काम कराया जा रहा है, जो अपराध है। सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन तय किया जाता है, जो वर्तमान में 11800 है, जो हर काम करने वाले कामगार कर्मचारी को मिलना चाहिए, यह दिलाना सरकार और अधिकारियों की जिम्मेदारी है लेकिन मप्र में खुद सरकार अपने ही कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन नहीं दे रही। उन्होंने कहा कि मप्र सरकार ने 20 साल से तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियां नहीं निकाली, जिस कारण लाखों कर्मचारी आउटसोर्स, अस्थाई जैसी नौकरी 2-5 हजार रूपए में करने को मजबूर है यदि सरकार ने चतुर्थ श्रेणी की भर्तियां की होती तो यह सभी सरकारी कर्मचारी होते। जो सरकार चपरासी, चौकीदार की नौकरी नहीं दे सकती उसे सरकार कहलाने का भी कोई अधिकार नहीं है। शर्मा ने कर्मचारियों से 22 सितंबर को भोपाल में होने वाले कामगार क्रांति आंदोलन में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने की अपील की।
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…जाहिद खान
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