ज़ाहिद खान, एडिटर इन चीफ़ 9425391823

स्टेड डेस्क-
“ऐ पिठ्ठू कलेक्टर सुन ले रे, हमारे भी दिन आएंगे, फिर तेरा क्या होगा”
“भाईयों बहनों मेरे भांजे- भांजियों अब डरने की कोई बात नहीं, तुम्हारा मामा वापस आ गया है, अब किसी बात की चिंता मत करना”

आप समझ तो गए होंगे… यह पंक्तियां चौथी बार मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान के वही पुराने चिर- परिचित अंदाज की है. जिसे आपने पूर्व में सुना ही होगा. पहला स्लोगन हमने छिंदवाड़ा में सुना है, वहीं दूसरा स्लोगन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पिछले विधानसभा चुनाव की जीत दर्ज करने और तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के उपरांत होने वाली सभाओं में पूरे प्रदेश ने सुना है. और निश्चित ही आने वाले दिनों में भी सुनने को मिलेगा. अब एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की बागडोर संभालने की ली है शपथ…. और यह शपथ लेते ही उनके सामने कोरोना वायरस जैसी चुनौती भरा अग्निपथ है….!

हालाकि शिवराज सिंह चौहान की पिछली सरकारों के कार्यकाल पर नजर डालें तो वे स्वयं ही मंचों और भरी सभाओं से प्रशासनिक कसावट के लिए अधिकारियों को लताड़ लगाते हैं, और गड़बड़ करने वाले अधिकारियों पर गाज भी गिराते हैं .
अब लगभग 15 माह के वनवास के बाद जब वे सत्तासीन हुए हैं, तो निश्चित ही कई तरह की प्रशासनिक सर्जरी भी उन्हें करनी पड़ेगी. जानकारों की माने तो कांग्रेस सरकार के समय के कुछ बहुचर्चित अधिकारियों की सूची भी तैयार की जा चुकी है… फिलहाल कोरोना वायरस का प्रदेश में नियंत्रण और प्रदेशवासियों को सुरक्षित रखने और उन्हें मूलभूत सुविधाएं आसानी से मुहैया कराने की बड़ी चुनौती उनके सामने खड़ी हुई है…..

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