ज़ाहिद खान, एडिटर इन चीफ़ 9425391823
नेशनल डेस्क – 1962 में चाइना युद्ध के बाद हमारी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई थी , इसी बीच अकाल पड़ने एवं फिर से 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद भारत में खाद्यान्न की कमी हो गई थी ।
इस परिस्थिति से निपटने के लिए हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री आदरणीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने अमेरिका से गेहूं भेजने की गुहार लगाई।
परंतु अमेरिका ने उस समय मदद के नाम पर हमारे यहां सड़ा हुआ लाल गेहूं भेजा , यह बात अभी तक बहुत लोगों के जेहन में होगी।
इससे व्यथित होकर आदरणीय शास्त्री जी ने कहा मेरे देश के लोग एक समय भूखा रहकर इतना अन्न बचा लेंगे कि भोजन की कमी ना रहे और उनकी इस अपील पर देशवासियों ने सोमवार का उपवास रखना शुरू कर दिया जिसे शास्त्री सोमवार भी कहा जाता था ।
हमने वह विपरीत परिस्थिति निकाल ली ।
उसके बाद हमारे वैज्ञानिकों ने गेहूं की ऐसी किस्में विकसित की जिससे हम गेहूं उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गए।
आज पूरा विश्व कोरोनावायरस की बीमारी से पीड़ित है ।
इस बीमारी में बचाव के लिए अमेरिका हमसे हाइड्रोक्सी क्लोरो किवीन की मांग कर रहा है। यद्यपि हमें भी इस समय इस दवाई की जरूरत है।
हमारे औषधि निर्माताओं को चाहिए की वह इस औषधि का उत्पादन बड़े स्तर पर करें जिससे हम भी इसका उपयोग कर सकें और अमेरिका को भी भेज सकें। गुणवत्ता का स्तर भी ऐसा रखें कि अमेरिका में भी आने वाली पीढ़ियां याद करें।
वर्तमान चाइना जैसा नहीं जोकि इस वैश्विक महामारी का गलत फायदा उठाते हुए हल्के स्तर के मेडिकल इक्विपमेंट स्पेन एवं अनेक देशों में भेज रहा है।
जिसके कारण वह उन्हें वापस भेज रहे हैं।