स्टेड डेस्क,
छिंदवाड़ा – जिले के सांसद नकुलनाथ ने भारत सरकार कृषि मंत्रालय द्वारा कृषकों की कृषि उपज के क्रय विक्रय से संबंधित नवीन मंडी एक्ट को किसान, व्यापारी व मजदूर विरोधी बताते हुए इसे मध्यप्रदेश में लागू ना किये जाने की मांग की है। इस नवीन मंडी एक्ट में विभिन्न विसंगतियों का उल्लेख करते हुए सांसद नकुलनाथ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को आज एक पत्र प्रेषित कर उन्हें सम्पूर्ण परिस्थितियों से अवगत कराया है।
व्यापक हितों के विरुद्ध है नवीन मंडी एक्ट – अपने पत्र में नकुलनाथ ने बताया कि इस नवीन एक्ट के मध्यप्रदेश में लागू किये जाने से मंडी शुल्क की आय में न केवल भारी कमी आयेगी अपितु मध्यप्रदेश राज्य की 259 मंडियों में कार्यरत लगभग 10 हजार कर्मचारियों का वेतन व सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारियों की पेंशन का भुगतान भी नही हो पायेगा। यह एक्ट प्रदेश के किसान, मंडी कर्मी व व्यापारियों के व्यापक हितों के विरुद्ध है।
धोखाधड़ी का शिकार होंगे किसान, निराश्रित सहायता बंद हो जायेगी – नकुलनाथ ने बताया कि मंडी से बाहर खरीदी का अधिकार देने वाला यह एक्ट किसानों की कृषि उपज के मूल्य की प्रतिस्पर्धा को समाप्त कर देगा जिससे किसानों को अपनी उपज का कम मूल्य मिलेगा तथा भुगतान की अनिश्चितता भी बनी रहेगी। फसल बेचने के बाद किसानों के साथ धोखाधड़ी होने पर वह न्यायालय की शरण में भी नहीं जा सकेगा। गौरतलब है कि मंडियों के माध्यम से निराश्रित शुल्क वसूल कर निराश्रितों को सहायता स्वरूप यह राशि वितरित की जाती है परंतु इस नवीन एक्ट से निराश्रित सहायता भी बंद हो जाएगी।
मंडी समितियों का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा – सांसद नकुलनाथ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि प्रदेश के व्यापारियों को लाइसेंस शुल्क का जो अधिभार उठाना पड़ रहा है उसे भी कम से कम किया जाये। इस नवीन एक्ट को सम्पूर्ण कृषि क्षेत्र से जुड़े किसान, कर्मचारी, व्यापारी व मजदूर विरोधी बताते हुये सांसद नकुलनाथ ने स्पष्ट संकेत दिये हैं कि इस एक्ट के लागू होते ही प्रदेश की मंडियों से जुड़े हज़ारों पंजीकृत हम्मालों तथा तुलावटियों के समक्ष भी आर्थिक संकट उतपन्न होगा साथ ही कृषकों के हितों की रक्षा हेतु गठित मंडी समितियों का अस्तित्व व क्षेत्राधिकार भी समाप्त हो जायेगा अतः किन्ही भी परिस्थितियों में यह नवीन एक्ट मध्यप्रदेश में लागू ना किया जावे।
Md. ज़ाहिद खान
एडिटर इन चीफ़ 9425391823