स्टेड डेस्क- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम जहां आता है वहां छात्राओं और बेटियों के मुख से मामा-मामा की सदाएं तो आपने सुनी ही होंगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की लोकप्रियता के पीछे उनका बेटियों को विशेष महत्व और दर्जा दिए जाने के साथ ही अपने चिर-परिचित भाषणों में बहनों और भांजियों वाला सम्बोधन बताता है कि मुख्यमंत्री प्रदेश की बेटियों के प्रति कितने संवेदनशील है… लेकिन इसके विपरीत उनके शासन में ही अधिकारी बेटियों की समस्या दूर करने की अपेक्षा; सार्वजनिक रूप से लताड़ने से भी पीछे नहीं हैं..? ताजा मामला मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले का है जहां जिला मुख्यालय में स्थित कलेक्ट्रेट परिसर में छिंदवाड़ा की राजमाता कन्या महाविद्यालय की छात्राएं फीस माफी को लेकर अपने मुख्यमंत्री मामा के नाम कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन देने पहुंची थीं, जहां उन्हें एक अधिकारी के द्वारा इस तरह लताड़ लगाई गयी कि भांजियों की आँखे भर आईं… मामला कुछ यूं है-गर्ल्स कॉलेज की छात्राएं फ़ीस माफ़ी की मांग का ज्ञापन ले कर कलेक्ट्रेट परिसर पहुंची थीं, जहां छिंदवाड़ा एसडीएम अतुल सिंह गेट पर आए और छात्राओं की तादाद देखकर कहा कि, यह कलेक्ट्रेट है 144 धारा लागू है, आप लोग अगली बार 5 छात्राओं से ज्यादा ना आएं, नहीं तो कार्यवाही करना पड़ेगा..? हालांकि उनका यह समझाना ठीक है…?
लेकिन इस समझाइश पर भी कई सवाल खड़े होते हैं..? कि कलेक्ट्रेट में रोजाना कई ज्ञापन सौपे जाते हैं. यह ज्ञापन नेताओं, सामाजिक संगठनों और प्रशासनिक संगठनों सहित आम नागरिकों द्वारा भी सौंपे जाते हैं. लेकिन क्या कभी एसडीएम या अन्य अधिकारी द्वारा इस तरह के लहजे में उन्हें कलेक्ट्रेट में भीड़ ना लाने की समझाइश दी जाती है..? शायद ही कभी ऐसा हुआ हो.?
लेकिन आज एसडीएम के द्वारा गुस्सैल अंदाज में छात्राओं को यह समझा देना कितना उचित था यह तो अब छात्राओं के मामा ही जाने…
लेकिन अधिकारी ने मीडिया की मौजूदगी में जिस अंदाज़ में समझाइश दी, वह छात्राओं के लिए अपमानित करने वाला था. जिसके कारण वहां उपस्थित छात्राओं की आंखें भर आई…
अधिकारी के इस व्यवहार से गुस्साई छात्राओं ने भी अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इस दुर्व्यवहार की शिकायत करने की बात कही है. उन्होंने मीडिया से कहा कि प्रशासन के अधिकारी समस्याएं दूर करने की अपेक्षा छात्राओं को अपमानित करने का काम कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर इस संबंध में एसडीएम अतुल सिंह से फोन पर संपर्क साधा गया लेकिन संपर्क ना होने के कारण उनका मत नहीं लिया जा सका है.
छात्राओं का फटकार-माननीयों का सत्कार..!
गंभीर बात यह है कि कलेक्ट्रेट में रोजाना दिए जाने वाले ज्ञापन में हमेशा ही भीड़ दिखाई देती है और यह रिकॉर्डेड है. हर ज्ञापन में दर्जनों और किसी ज्ञापन में सैकड़ों लोग मौजूद होते हैं. लेकिन उन ज्ञापन के प्रतिनिधियों एवं नेताओं को अधिकारी पूरा सम्मान और सत्कार देते हैं, पूरे धैर्य से उनकी बातें सुनते हैं, ज्ञापनधारी अपनी मांग को लेकर गुस्साते हैं तो, अधिकारियों की पूरी टोली मिल कर उन्हें मनाती है..! सत्कार वाला रवैय्या और धैर्य भरपूर होता है..? लेकिन छात्राओं को सत्कार नहीं-फ़टकार दी गयी, ऐसा क्यूं..?
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