स्टेड डेस्क/ छिंदवाडा- सीधी से सतना आ रही बस हादसे का शिकार हुई 47 मासूम जिंदगियों को निजीकरण और मुनाफे की हवस ने निगला है। बात बात पर ब्यानबाजी करने वाले मुख्यमंत्री, उनका मंत्रिमंडल भी इस हादसे पर खामोश हैं, क्योंकि इन मौतों के असली हत्यारों को पता लगाने की कोशिश की जायेगी तो सरकार के अपने चहेते ही बेनकाब हो जायेंगे।
असंगठित कामगार कांग्रेस के जिला अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि छुईया घाटी पर पिछले सात दिन से रोड जाम था। जाम की वजह सीमेंट कारखाने के ओवरलोडेड ट्रकों और ट्रालों से सड़क को बुरी तरह गड्डों में तबदील कर देना था। यह सीमेंट कारखाना उसी जेपी का है, जिसके डंपर कांड में मुख्यमंत्री और उनके परिजनों के नाम जुड़ चुके हैं? छुईया घाटी के जाम के कारण ही बसों को नहर के किनारे की सकऱी और उबडख़ाबड़ सड़क से निकला पड़ रहा था।
वासुदेव शर्मा ने कहा है कि गैर कानूनी तरीके से रोकी गई सड़क और रायल्टी बचाने के लिए ओवरलोडेड ट्रकों और डंपरों की जांच कर ही असली मुजरिमों को बेनकाब किया जा सकता है। मगर इनसे ध्यान हटाने की कोशिश हो रही है। क्योकि यह सब राजनीतिक संरक्षण में हो रहा था। मुख्यमंत्री से लेकर कोई भी मंत्री इस हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने को तैयार नहीं है।
कामगार कांग्रेस ने कहा है कि प्रदेश की सरकार पूरी तरह से माफियाओं के शिकंजे में है। राज्य सड़क परिवहन निगम के निजीकरण के बाद सड़कों पर दौडऩे वाली 90 प्रतिशत बसों के मालिक भाजपा नेता हैं। इसलिए बसों की फिटनेंस तक की भी अनदेखी होती है।
वासुदेव शर्मा ने कहा है कि इस हादसे की जांच कर अपराधियों को सजा दिलाने के साथ ही प्रदेश सरकार को इस हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए। कामगार कांग्रेस ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदनायें व्यक्त करते हुए परिजनों को 50-50 लाख रुपए मुआवजा और एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने तथा घायलों के मुफ्त उपचार के साथ ही पांंच पांच लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की है।
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