समाज के भटके हुए साथी मुख्यधारा में लौटें, शासकीय योजनाओं का लाभ लें-राज्यपाल ने किया आव्हानराज्यपाल कांकेर जिले के अंतागढ़ विकासखण्ड के ग्राम-टेमरूपानी में आदिवासी बुढ़ालपेन पोड़दगुमा गोंडवाना विकास समिति के वार्षिक सेसा पण्डुम कार्यक्रम में हुई शामिल

स्टेड डेस्क- छत्तीसगढ़ राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज कांकेर जिले के अंतागढ़ विकासखण्ड के ग्राम-टेमरूपानी में आदिवासी बुढ़ालपेन पोड़दगुमा गोंडवाना विकास समिति के वार्षिक सेसा पण्डुम कार्यक्रम में शामिल हुई। उन्होंने कार्यक्रम में आह्वान किया कि हमारे समाज के कुछ साथी भटक गए हैं, वे समाज की मुख्यधारा में लौटें, शासकीय योजनाओं का लाभ लें तथा आत्मनिर्भर भारत का अंग बनें।
उन्होंने कहा कि हमारे आदिवासी समाज के प्रमुख समाज को जागरूक करें, संगठित करें और उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगारमूलक योजनाओं से जोड़ें। साथ ही समाज को बांटने वाले तत्वों से सचेत रहें। राज्यपाल ने कांकेर जिले के टेमरूपानी में पहुंचकर पूजा अर्चना की और धार्मिक जात्रा कार्यक्रम में शामिल हुई।

   उन्होंने आदिवासी बुढ़ालपेन पोड़दगुमा गोंडवाना विकास समिति समिति को दो लाख रूपए की आर्थिक सहयोग देने की घोषणा की। 

राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय समाज हमेशा प्रकृति के साथ रहता है और कभी दुखी नही रहता। हम देव पोड़दगुमा (सूर्य देव) से प्रार्थना करते हैं कि हम सबको सुख-समृद्धि प्रदान करे। वे पूरे संसार को आलोकित करते हैं, सहीं राह दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी सदैव सम्मान से जीता है, वह किसी गलत कामों में न लिप्त रहता है न ही भिक्षा मांगने के लिए किसी के समक्ष हाथ फैलाता है। जीवन भर मान सम्मान से जीवन यापन करता है।

राज्यपाल ने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी जाति धर्म से छोटा बड़ा नहीं होता है, बल्कि अपने कर्मों से बड़ा होता है। सुश्री उइके ने कहा कि आदिवासी समाज के बूढ़ादेव अर्थात महादेव हम सबके इष्टदेव हैं, जो पूरे संसार का संरक्षण करते हैं। देश का हर नागरिक अपने-अपने धर्म, संम्प्रदाय, देवी-देवता और अपने महापुरूषों को मानने और उनके आदर्शों पर चलने के लिए स्वतंत्र है। किन्तु जब देश हित की बात आए तब सभी एकजुट होकर कार्य करें।
राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी समाज की संस्कृति बड़ी महान है। प्रकृति के प्रति आदिवासी समाज में अपार श्रद्धा होती है और इस श्रद्धा में प्रकृति संरक्षण का भाव होता है। हमारे आदिवासी संस्कृति में सामुदायिकता और प्रेम सद्भाव की भावना रहती है। इस पर्व पर आदिवासी समाज द्वारा सूर्य देव से अन्न भंडारण तथा उसकी सुरक्षा की अनुमति मांगी जाती है। यह कितनी महान परंपरा है कि प्रकृति से प्राप्त हुए उनके उत्पाद को उपयोग करने के लिए उनसे आज्ञा ली जा रही है। इससे यह सिद्ध होता है कि आदिवासी समाज में प्रकृति के प्रति कितनी आस्था है। ऐसी परंपरा शायद ही और कहीं देखने को मिलती है।
राज्यपाल ने कहा कि प्राचीनकाल से आज तक जंगल किसी न किसी रूप में जो सुरक्षित है, आदिवासी समाज के इसी भावना के कारण है। आज जब पूरा विश्व में आधुनिकीकरण के कारण आपस में दूरियां बढ़ती जा रही है, परिवार अलग-अलग हो रहे हैं, उस समय आदिवासी समाज पूरे विश्व के समक्ष सामाजिकता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करता है।
राज्यपाल ने कार्यक्रम में उइके गोत्र के मांझी, पेन पुजारी, मंड़ा के समस्त सात भाई कोर्राम, कचलाम, जुर्री, जट्टी, कातो, वेड़दो, उयका का अभिवादन किया। राज्यपाल को आयोजकों ने प्रतीक चिन्ह भेंटकर उन्हें सम्मानित किया।

कार्यक्रम में विधायक अनुप नाग, राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य नितिन पोटाई, पूर्व विधायक भोजराज नाग, पूर्व विधायक विक्रम उसेण्डी, विश्राम सिंह गावड़े, श्रीमती जय लक्ष्मी ठाकुर, श्रीमती कमला नेताम, श्यामलाल उइके, मेतूराम उइके, शरद कोर्राम, चंदन सिंह उइके, सुरजूराम उइके, हरिसिंह उइके, श्रीमती सुशीला उइके, मनेश राम उइके, दशरथ उइके उपस्थित थे।

राज्यपाल ने पत्रकारों और सुरक्षा बलों की सराहना की
राज्यपाल ने कहा कि हमारे पत्रकार बंधुओं को धन्यवाद देती हूं। समाज में उनकी भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण है। बस्तर तथा अन्य दूरस्थ क्षेत्रों में कार्य करते हैं और जनसमस्याओं और समाज की अन्य खबरों को सामने लाते हैं। इस दौरान उन्हें कई खतरों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और फिर भी अपने कार्य में समर्पित भाव से लगे रहते हैं। उनकी खबरों से मुझे महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है, उस पर मैं संज्ञान भी लेती हूं। राज्यपाल ने सुरक्षा बलों की भी सराहना करते हुए कहा कि हमारे सुरक्षा बलों के जवान सभी जगह हर परिस्थिति में तैनात रहते हैं और आम जनों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। उनके प्रति मानवीय संवेदना रखें और उनके साथ समन्वय बनाकर कार्य करें।

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