मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को पार्टी हाई कमान ने बंगाल चुनाव में स्टार प्रचारक की जिम्मेदारी सौंपी है. इसलिए प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव अगले तीन चार माह टल सकते हैं….राज्य निर्वाचन आयोग ने नगरीय निकाय चुनाव कराने की तैयारी पूरी कर ली है, लेकिन बंगाल विधानसभा चुनाव के चलते सरकार इसे 3-4 माह तक टाल सकती है. इधर 10वीं-12वीं की परीक्षा बाधित होने को भी आधार बनाया जा सकता है, क्योंकि स्कूलों में मतदान केंद्र भी बनाए जाएंगे और शिक्षकों की चुनाव में डयूटी भी लगेगी.?

स्टेड डेस्क- राज्य निर्वाचन आयोग ने नगरीय निकाय चुनाव कराने की तैयारी पूरी कर ली है, लेकिन पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के चलते सरकार इसे 3-4 माह तक टाल सकती है. वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ बंगाल चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल हैं. दोनों दिग्गज नेताओं के अलावा बीजेपी और कांग्रेस के कई नेता चुनाव के दौरान बंगाल में स्टे करेंगे.

सूत्रों के मुताबिक बंगाल चुनाव में शिवराज सिंह के अलावा गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग समेत अन्य नेता बंगाल के अलग-अलग क्षेत्रों में स्टे करेंगे. इसी तरह, कांग्रेस हाईकमान ने कमलनाथ के अलावा प्रदेश के कई नेताओं को बंंगाल चुनाव में जिम्मेदारी दी है. ऐसे में दोनों ही पार्टियां नगरीय निकाय चुनाव टालने के लिए सहमत हैं.? वहीं पंचायत चुनाव, निकाय चुनाव के पहले कराए जा सकते हैं यदि यह संभव हुआ तो छिंदवाड़ा सहित अन्य जिलों में तीन चरणों में निकाय चुनाव होंगे. पंचायत चुनाव पहले हुए तो , पहले चरण में छिंदवाड़ा चौरई, बिछुआ और मोहखेड़ में होंगे, द्वितीय चरण में सौसर पांढुर्ना और परासिया एवं तृतीय चरण जामई तामिया अमरवाड़ा और हर्रई में सम्पन्न होंगे. इसी तरह प्रदेश के अन्य जिलों में भी कई चरणों मे चुनाव होंगे….

बहरहाल बात करें निकाय चुनाव की तो बंगाल में चुनाव 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच 8 चरणों में होने हैं. ऐसे में दोनों दलों के नेता बजट सत्र समाप्त होने के बाद बंगाल में रहेंगे. एक तरफ बंगाल के चुनाव खत्म होंगे, तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी. जो 30 अप्रैल से 18 मई तक होंगी. राज्य निर्वाचन आयोग पहले ही साफ कर चुका है कि परीक्षाओं के दाैरान चुनाव नहीं कराए जाएंगे.

इधर राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह ने राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी, तब कहा गया था कि पंचायत चुनाव अप्रैल में करा लिए जाएं, लेकिन नगरीय निकाय चुनाव को मई के बाद कराए जाएं. इसके लिए 10वीं और 12वीं कक्षाओं की परीक्षाओं को आधार बताया गया था. इस पर आयुक्त ने कहा था कि आयोग नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में कोई एक चुनाव अप्रैल में कराए जाएंगे. यदि सरकार पंचायतों से संबंधित शेष कार्यवाही को अगले 15 दिन में पूरी कर दे, तो अप्रैल में पंचायत चुनाव कराए जाएंगे.
सूत्रों का कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव के लिए स्कूलों में मतदान केंद्र बनाए जाएंगे. इसी तरह चुनाव में शिक्षकों की डयूटी भी लगाई जाएगी. ऐेसे में निकाय चुनाव अप्रैल-मई में होना संभव नहीं है.

इसके अलावा प्रदेश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को भी चुनाव टालने का आधार बनाया जा सकता है. पिछले कुछ दिनों से भोपाल-इंदौर सहित अन्य बड़े शहरों में कोरोना के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. निकाय चुनाव से फिर शहरों में रैलियां होंगी, आम सभाओं में भीड़ जुटेगी. इससे कोरोना संक्रमण का खतरा और बढ़ सकता है.
माना जा रहा है कि नगरीय निकाय चुनाव के बजाय पंचायत चुनाव का कार्यक्रम जारी किया सकता है. हालांकि अभी पंचायतों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. पंचायत चुनाव गैर दलीय आधार पर होते हैं. ऐसे में सरकार को राहत रहेगी. हाई कोर्ट के आदेश के तहत निकाय चुनाव करवाना भी जरूरी है, इसलिए सरकार पंचायतों के चुनाव पहले करवा सकती है, ताकि कोर्ट के निर्देशों का पालन भी हो जाए और निकाय चुनाव के लिए पर्याप्त समय भी मिल जाए.

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