स्टेड डेस्क/ छिंदवाड़ा- मध्यप्रदेश में धीरे धीरे कोरोना वायरस पैर पसार रहा है ऐसे में प्रदेश सरकार की चिंताएं बढ़ती जा रहे हैं. यही वजह है कि बीते दिन सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की जनता को मास्क पहनने के लिए सायरन बजाकर जागरूकता अभियान छेड़ा है. शिवराज सिंह चौहान के इस अभियान के बाद प्रदेश के हर जिले में मास्क पहनने और शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए लोगों को दिशा निर्देश दिए गए हैं. वही जिला प्रशासन के अधिकारी दल बल के साथ बाजारों चौक चौराहों और मोहल्लों में जाकर जनता से मास्क पहनने और शारीरिक दूरी बनाए रखें के कड़े निर्देश दे रहे हैं.
इधर छिंदवाड़ा में प्रशासन ने मास्क ना पहनने वालों पर चालानी कार्यवाही भी शुरू कर दी है, तो ऐसे में मासूम बच्चों ने भी कोरोना वायरस से लड़ने की जिम्मेदारी उठाई है. यह बच्चे अपने क्षेत्र में हाथ में छोटे-छोटे डंडे लिए मार्ग से आने जाने वाले लोगों को मास्क पहनने की अपील कर रहे हैं, साथ ही जो लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं उन्हें रोककर फौरन मास्क पहनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
यह बच्चे छिंदवाड़ा के बड़वन क्षेत्र के हैं यह चारो मासूम बच्चे इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं. बीते 2 सप्ताह से ये मासूम बच्चे आम नागरिकों को मास्क पहनने की अपील कर रहे हैं. यही नहीं बच्चे हाथ में डंडा लिए ऐसे राहगीरों को रोक रहे हैं जो मास्क नहीं पहन रहे हैं. उन्हें रोककर या तो पास से मास्क दे रहे हैं या फिर अनिवार्य रूप से मास्क पहनने की हिदायत दे रहे हैं. बच्चों का यह जुनून बताता है कि छिंदवाड़ा में न केवल जिला प्रशासन सजक है बल्कि यहां के बच्चे भी कोरोना से जंग लड़ने मुस्तैद हैं….
इन बच्चों से बात करने पर पता चला कि उन्नति दाबके, पीयू मालवीय,तुषार साहू और नोबिता मालवीय स्कूल की छुट्टी के चलते बगैर किसी के मार्गदर्शन के इस महत्वपूर्ण काम में बीते 2 सप्ताह से जुटे हुए हैं. हालांकि उनके इस काम मे परिवार वाले भी पूरा सहयोग दे रहे हैं. बच्चों ने इन दिनों खेल सपाटा छोड़कर नागरिकों को मास्क पहनने के लिए प्रेरित करने का महत्वपूर्ण बीड़ा उठाया हुआ है. मासूम बच्ची उन्नति और नोबिता ने बताया कि कुछ लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं और उन्हें मास्क पहनने के लिए कहो तो वह तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं, वहीं कुछ लोग उनके कहने पर फौरन जेब से मास्क निकालकर पहन रहे हैं. बच्चों की माने तो इसके पीछे उन्हें ना घर परिवार वालों ने कहा और ना ही अन्य किसी ने. वे अपनी मर्जी से इस काम में जुटे हुए हैं. वे कहते हैं कि हम चाहते हैं कि छिंदवाड़ा से कोरोना पूरी तरह से खत्म हो जाए.
निश्चित रूप से छिंदवाड़ा में इन मासूम बच्चों का यह कारनामा बड़ों बड़ों के लिए प्रेरक है साथ ही उन समाजसेवी संगठनों के मुंह पर तमाचा है जो शासन की राशि एवं सीएसआर फंड के बल पर ही कथित रूप से समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी भूमिका का निर्वाहन करते हैं.? आम नागरिकों और समाजसेवी संगठनों को चाहिए कि वे इन बच्चों से प्रेरणा लेते हुए कोरोना जैसे वैश्विक संकट से निपटने के लिए शासन और प्रशासन का सहयोग करने आगे आएं…
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