स्टेड डेस्क- छिंदवाड़ा खनिज विभाग एक बार फिर अपनी गैर जिम्मेदार कार्यप्रणाली को लेकर सुर्खी में है, कभी अवैध रेत खनन को लेकर सवाल उठे.? तो कभी गिट्टी क्रेशर संचालकों पर कृपा दृष्टि पर सवाल.? इस बार मामला कुछ गंभीर है छिंदवाड़ा खनिज विभाग अब मध्यप्रदेश शासन के आदेशों को ठेंगा दिखा रहा है. जिसको लेकर खनिज शासन विभाग मध्यप्रदेश शासन अवर सचिव जल्द ही इस मामले पर बड़ी कार्रवाई कर सकते हैं.?
दरअसल इस बार मामला शासन के आदेशों की अव्हेलना का है. मध्यप्रदेश शासन खनिज साधन विभाग मंत्रालय से छिंदवाड़ा में पदस्थ खनिज निरीक्षक विवेकानंद यादव के तबादला हेतु कई आदेश निकल चुके हैं, लेकिन अब तक आदेश की तामील नहीं की गई है. आपको बता दें बीते वर्ष 8 मार्च 2019 को प्रदेश के राज्यपाल के आदेशानुसार अवर सचिव खनिज शासन विभाग राजेश कुमार कौल ने उक्त निरीक्षक का स्थानांतरण प्रशासकीय आधार पर तत्काल प्रभाव से झाबुआ किया गया था. लेकिन तत्कालीन कलेक्टर श्रीनिवास शर्मा को विभाग द्वारा भ्रमित जानकारी पेश करते हुए, कलेक्टर के माध्यम से स्थानांतरण निरस्त किए जाने का पत्र शासन को भेजा गया था. जिसमें यह हवाला दिया गया था कि विभाग में पांच खनिज निरीक्षक है जिसमें से 3 महिला और दो पुरुष हैं, कार्यक्षेत्र का हवाला देते हुए इस पत्र में उल्लेख किया गया था की महिला खनिज निरीक्षक की तुलना में पुरुष खनिज निरीक्षकों की उपस्थिति ज्यादा प्रभावी होती है.? इसे आधार बनाकर उक्त निरीक्षक का स्थानांतरण निरस्त करने की मांग की गई थी. लेकिन यह आधार किसी हद तक महिला शक्ति का अपमान के समान था.? जबकि खनिज विभाग के पूर्व इतिहास पर नजर डालें तो वर्तमान खनिज अधिकारी के पहले छिंदवाड़ा खनिज विभाग पूर्णता नारी शक्ति के हाथों में रहा और उस समय खनिज विभाग का संचालन पूरी तरह सफल और प्रभावी रहा था. अब ऐसे में महिला निरीक्षक और पुरुष निरीक्षक के बीच में कार्यप्रणाली को लेकर खाई खड़ी कर दी गई..? यहां एक गंभीर और चिंताजनक प्रश्नचिन्ह लगाया गया है.?
लेकिन मध्यप्रदेश शासन खनिज साधन विभाग प्रमुख सचिव को लिखे गए इस पत्र को, सचिव ने निरस्त करते हुए 30 मई 2019 को दोबारा अवर सचिव, खनिज साधन विभाग, भोपाल ने दोबारा आदेश जारी करते हुए शक्ति के साथ 31-05-2019 अपराहन से एकतरफा कार्यमुक्त करने के आदेश देते हुए 3 जून 2019 तक नवीन पदस्थापना पर कार्यभार ग्रहण करने के आदेश दिए थे, साथ ही अवर सचिव ने आदेश के अपालन की स्थिति में खनिज निरीक्षक के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाने के सख्त आदेश भी दिए थे.
लेकिन विडंबना यह है कि शासन के आदेश के बावजूद भी उक्त खनिज निरीक्षक को रिलीव नहीं किया गया. जिसको लेकर 15 जून 2020 को दोबारा मध्य प्रदेश शासन खनिज साधन विभाग भोपाल अवर सचिव ने आदेश जारी करते हुए कहां की 24 घंटे के भीतर नवीन पदस्थापना स्थल जिला कार्यालय खनिज शाखा झाबुआ में अनिवार्य रुप से उपस्थित होकर कार्यभार ग्रहण करें. पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि आपके द्वारा समय अवधि में कार्यभार ग्रहण न किए जाने की स्थिति में आपके विरुद्ध कार्यवाही की जावेगी, जिस हेतु आप स्वयं जिम्मेदार होंगे.
शासन के इस कड़े आदेश के बाद खनिज अधिकारी ने 16 जून 2020 को खनिज निरीक्षक विवेकानंद यादव को इस पत्र की जानकारी देते हुए शासन आदेश का पालन किए जाने की बात कर मामला चलता कर दिया.? लेकिन इसी के विपरीत विभाग ने एक बार फिर आला अधिकारी को ढाल बनाया और पूर्व कलेक्टर को जहां महिला निरीक्षकों का हवाला देकर पत्र जारी करवाया था? इस बार प्रथक हथकंडा इस्तेमाल करते हुए वर्तमान कलेक्टर से 17 जून 2020 को मध्यप्रदेश शासन, खनिज साधन विभाग, वल्लभ भवन भोपाल, सचिव सुखबीर सिंह के नाम पत्र जारी करवाते हुए यह हवाला दिया गया कि उक्त निरीक्षक की पत्नी छिंदवाड़ा जिले में अधीक्षक भू-अभिलेख के पद पर पदस्थ होने के कारण, किए गए स्थानांतरण को निरस्त करने का विनय पत्र प्रस्तुत है. जिसमें यह भी हवाला दिया गया था कि उक्त निरीक्षक की पारिवारिक स्थिति एवं जिले में खनिज निरीक्षक की कमी को देखते हुए सहानुभूति पूर्वक विचार कर उक्त आदेश को निरस्त किया जावे.?
लेकिन शासकीय सूत्रों की माने तो एक बार फिर उक्त निरीक्षक के तबादला से संबंधित आदेशों की लगातार अवहेलना होने के चलते जल्द ही शासन के द्वारा बड़ी कार्यवाही के आदेश जारी हो सकते हैं. इसके साथ ही खनिज विभाग द्वारा पूर्व में अधूरी छोड़ी गई कार्यवाहियों और अन्य मामलों की भी जांच की संभावना व्यक्त की जा रही है.?
कहां दबी हैं ये फाइलें…
आपको बता दें कि विगत वर्षों में जिले के विभिन्न अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा जिले में संचालित क्रेशर के संचालकों द्वारा अवैध उत्खनन के मामले बनाए गए थे लेकिन अब तक उन मामलों को अंजाम तक नहीं पहुंचाया गया है. जिससे अवैध कारोबारियों के हौसले तो बुलंद हैं ही, साथ ही शासन को राजस्व का चूना भी लगाया जा रहा है. मिलीभगत के चलते क्रेशर संचालकों पर अवैध उत्खनन के पूर्व मामले आज भी फाइलों में बंद पड़े हैं. यदि उक्त मामलों को पुनः खोला जाए तो शासन को बड़ा राजस्व प्राप्त होगा एवं नियम विरुद्ध संचालन करने वालों पर लगाम लगेगी.
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