स्टेड डेस्क/चौरई- विकास, जल, कर्मकार मंडल जैसे टैक्स नहीं चुकाने और रैन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने से बचने के लिए शहर में बिना अनुमति के मकान, दुकान या शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बन रहे हैं। नपा से भवन निर्माण की अनुमति एवं नक्शा पास कराए बगैर दो-तीन और चार मंजिला बिल्डिंग तन रही हैं। आंकड़ों की माने तो साल भर  में महज कुछ ने ही नपा से अनुमति ली, जबकि सैकड़ों ने बिना अनुमति के ही निर्माण कार्य करा लिए। अनियोजित निर्माण से न सिर्फ शहर की सूरत बिगड़ रही है, बल्कि नपा की झोली में भी टैक्स नहीं आ रहा है।

वर्षो में सेकड़ो और इस साल के कुछ एक अनुमति। ये आंकड़े हैं शहर में होने वाले निर्माण कार्यों के। इनमें दुकान, मकान और ऊंची बिल्डिंग भी शामिल हैं। कुछ साल में शहर काफी फैल गया। चमन घाटी, सिवनी रोड अमरवाड़ा रोड़ ,चदनवाड़ा रोड़ ,छिंदवाड़ा रोड आदि जगह नई कॉलोनियां बसी और मकान बने। इसके अलावा शहर में कई दुकान, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी बन रहे हैं। जानकारों की माने तो साल में औसत 200 से 300 मकान, दुकान एवं शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण या फिर इनका विस्तार व पुनर्निर्माण होता है, लेकिन नपा में दर्ज आंकड़े कुछ और बयां कर रहे हैं। वर्ष में  लोगों ने निर्माण कार्यों की अनुमति मांगी, जबकि अनुमति मिली करीब कुछ एक को। इसके अलावा इस साल जनवरी से अब तक  लोगों ने निर्माण कार्यों के लिए अनुमति चाही, जिसमें से कुछ मात्र को अनुमति दी गई।

सड़क से लेकर आसपास की खाली जमीन पर भी निर्माण…

वर्तमान में शहर में नजर घुमाई जाए तो लगभग हर क्षेत्र में निर्माण दिखाई देगा। खासकर कॉलोनियों व पॉश इलाकों में लाखों रुपए की लागत से मकान बन रहे हैं। ऐसे में पिछले सवा-डेढ़ साल का नपा से अनुमति का आंकड़ा गले नहीं उतर रहा। जानकारी अनुसार नगरीय सीमा क्षेत्र में नियम-कायदों को ताक पर रखकर भवन निर्माण बिना अनुमति एवं नक्शा मंजूर कराए जा रहे हैं। इस कारण नपा को हर साल लाखों रुपए का राजस्व घाटा उठाना पड़ रहा।

दूसरी ओर अनियोजित बसाहट के कारण शहर की सूरत भी बिगड़ रही है। नगर के क्षेत्र इसके उदाहरण है। खास बात यह है कि नपा के जिम्मेदार इन सभी बातों से वाकिफ भी है किंतु कार्रवाई करने से पीछे हट जाते हैं। कुछ साल में बिना अनुमति के निर्माण होने पर नपा ने कोई कार्रवाई नहीं की। जानकारी अनुसार नियमानुसार नक्शे को नगर पालिका परिषद से स्वीकृत कराना अनिवार्य होता है, लेकिन पैसे बचाने के लालच में लोग बनवाए गए नक्शे को पास नहीं करवाते। जो लोग नक्शा पास कराते भी हैं तो नक्शे अनुसार मकान नहीं बनाते हुए मनमर्जी से निर्माण कराते हैं। सड़क व आसपास की खाली जमीन पर मकान बनाए जा रहे हैं। ऐसे में नक्शा पास कराना और नहीं कराना बराबर हो जाता है

अनुमति न लेने के पीछे ये वजह

  • अनुमति लेने पर नपा को विकास, जल, कर्मकार मंडल जैसे कर चुकाने पड़ते हैं। इसमें हजारों रुपए खर्च होते हैं। रुपए बचाने के चक्कर में अनुमति नहीं ली जाती।
  • यदि एक हजार या इससे ज्यादा स्क्वेयर फीट का मकान या अन्य निर्माण हो रहा तो छत पर रैन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाना अनिवार्य है। इसके लिए नपा को राशि चुकानी पड़ती है। ये राशि बचाने की मंशा भी लोगों की रहती है। अनुमति के लिए नपा दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इस झंझट से मुक्ति पाने के लिए कई लोग अनुमति ही नहीं लेते।

जो अनुमति लेते हैं, उनके निर्माण पर नजर नहीं…
जानकारी अनुसार भवन बनाने से पूर्व लोग नक्शा पास कराने की अनिवार्यता को देखते हुए नक्शा पास तो करा लेते हैं लेकिन नपा द्वारा परमिशन के लिए लगाई गई शर्तों का पालन कराने पर जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं देते। 
वहीं आमतौर पर भवन निर्माता को भी इस बात से कोई सरोकार नहीं होता है कि मकान बनाते समय कहां कितनी जगह छोड़ना जरूरी है। पानी की निकासी कहां से करना है। छत का पानी कहां गिरना चाहिए। लोगों की कोशिश रहती है कि उनकी एक इंच भी जगह नहीं छूटना चाहिए और सरकारी जगह को भी अपने हिस्से में लिया जाए। अनुमति नहीं लेने की बात सामने आई। लिहाजा, नपा पूर्व में संबंधितों को नोटिस भी दे चुकी है। बावजूद सख्त कार्रवाई नहीं हुई। 

संकरी सड़कों को और छोटा कर दिया…
अपनी एक इंच की जगह भी बचाने के लिए लोग अब सड़क तक अपना कब्जा जमा रहे हैं। लोग नालियों के ऊपर ही मकान-दुकान आदि बनाने लगे हैं। इससे पहले से छोटी सड़कें और छोटी हो रही हैं। ऐसे स्थायी अतिक्रमणकारियों के विरुद्घ भी नपा के जिम्मेदार लंबे समय से मौन है। कुछ साल से नपा का अमला कार्रवाई के लिए मैदान में नहीं उतरा।

टीम बनाकर जांच कराएंगे….
बिना अनुमति के निर्माण कार्य कराने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए नपा की एक टीम बनाएंगे, जो अनुमति आदि की जानकारी लेगी।

KBP NEWS चौरई से सहयोगी मनोज साहू की रिपोर्ट

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