स्टेड डेस्क/छिंदवाड़ा- अबला तेरी- हाय यही कहानी… यह पंक्तियां इस विकासशील दौर में भी हर रोज इस्तेमाल होती है, और इन पंक्तियों को इस्तेमाल करते समय हम कलम कारों को शर्म भी आती है… लेकिन किसी महिला के साथ हो रही प्रताड़ना ज्यादती को सरल शब्दों में उल्लेख करने के लिए यह पंक्ति काफी होती है… नारियों के सम्मान और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए अनेकों कानून बनाए गए हैं लेकिन उन कानूनों का पालन कितना और किस रूप में हो रहा है इसकी मॉनिटरिंग करने की फुर्सत ना, नारियों के नाम पर राजनीति करने वाले दलों के पास है और ना ही नौकरशाहों के पास…. इसी की परिणति यह होती है कि प्रतिदिन अनगिनत नारियों को आत्महत्या जैसे खतरनाक तकलीफ़ों भरे कदम उठाने पड़ते हैं।
देश में हर दिन महिलाओं के आत्महत्या का ग्राफ बढ़ता जा रहा है जिसे रोकने सिर्फ कागजों में ही प्रयास किए जा रहे हैं, इस फेहरिस्त में एक और नया नाम जुड़ गया है, बीती रात छिंदवाड़ा में एक और नारी के सम्मान को ठेस पहुंची और कई महीनों से परेशान महिला ने अग्नि स्नान कर लिया। मामला छिंदवाड़ा के चंदनगांव क्षेत्र का है जहां निवासी एक सरकारी कर्मचारी की अय्याशियों से परेशान महिला ने आत्महत्या करने का प्रयास किया। जिसमें महिला बुरी तरह जल गई है जिसे गंभीर अवस्था में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां से महिला को नागपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया है। लेकिन इन सबके बीच महिला ने अपने बयान में पति की अय्याशियों से परेशान होकर यह कदम उठाने की बात कही है….
पति का तीन महिलाओं से है…? घटना के बाद पुलिस और प्रशासन ने एक्शन लिया और अस्पताल में भर्ती महिला के मजिस्ट्रियल बयान लिए गए। जिसमें महिला ने बताया कि उसका पति एक सरकारी महकमे में कार्यरत है और लंबे समय से उसका दो तीन महिलाओं से चक्कर चल रहा है, जिससे महिला ने परेशान होकर यह कदम उठाया है…
पुलिस ने किया सील… महिला आग से बुरी तरह जल चुकी है बताया जाता है कि लगभग 95% महिला जल चुकी है, जिन्हें अस्पताल में उपचार और मजिस्ट्रियल बयान के बाद नागपुर मेडिकल रेफर किया गया है। इस कार्रवाई के बाद कोतवाली पुलिस ने महिला के घर पहुंच कर जिस कमरे में महिला ने आत्महत्या के लिए खुद को आग लगा ली, उस कमरे को सील कर दिया गया है…
अब आगे क्या.? लीपापोती या कार्रवाई..! पति की प्रताड़ना से परेशान महिला ने खुद को आग के हवाले कर दिया। लेकिन, इस घटना के बाद अब जलता हुआ सवाल यह है कि अब आगे क्या होगा..? हमेशा की तरह कार्यवाही के नाम पर लीपापोती होती है या फिर जांच का निष्पक्ष स्वरूप सामने आता है। दरअसल ऐसे अनेकों केसों में कार्यवाही के नाम पर भागदौड़ तब तक होती है, जब तक मामला गरम हो। और आग जैसे ही ठंडी होती है, कागजों में कार्रवाई और फाइलों में कागज का दौर चल पड़ता है…! समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों के दखल का अब इंतजार रहेगा….
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