भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने अपने पोर्टल पर किया जिले के नवाचार का प्रकाशन, कलेक्टर के प्रयास को सराहा
स्टेट डेस्क/छिंदवाड़ा – कलेक्टर श्री सिंह द्वारा विगत 2 माह पूर्व नवाचार करते हुए जिले में निर्मित अनुपयोगी पड़े नाडेप टांकों को तकनीकी रूप से भरवाकर जैविक खाद निर्माण का कार्य प्रारंभ कराया गया। इसके लिए कलेक्टर श्री सिंह के निर्देशन में कृषि विभाग और ग्रामीण विकास विभाग के अमले ने मिलकर ग्रामीणों को इन नाडेप टांकों को सही ढंग से भरने के संबंध में प्रशिक्षण भी दिया, जिससे अच्छी गुणवत्ता की जैविक खाद प्राप्त हो सके और रासायनिक खाद पर निर्भरता कम हो सके। नाडेप टांकों के माध्यम से कचरे से जैविक खाद निर्माण के इस नवाचार को भारत सरकार द्वारा सराहा गया है । भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने अपने पोर्टल पर इसकी स्टोरी का प्रकाशन किया है और कलेक्टर श्री सिंह के प्रयासों की सराहना की है। जिले की इस उपलब्धि पर राज्य स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण की प्लानिंग एंड मैनेजमेंट यूनिट से क्षमता वर्धन और प्रचार प्रसार विशेषज्ञ ईशा सिंह ने कलेक्टर श्री सिंह को बधाई संदेश प्रेषित किया है।
उल्लेखनीय है कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के फेज 02 के अंतर्गत जिले में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सूखे एवं गीले कचरे के प्रबंधन हेतु ग्रामों में नाडेपों का निर्माण कराया गया है। लेकिन कलेक्टर श्री सिंह ने फील्ड विजिट के दौरान पाया कि अधिकांश नाडेप टांकों का समुचित उपयोग नहीं हो रहा था। जिसके बाद उन्होंने नवाचार करते हुए जिले में जैविक खाद को बढावा देने के लिए इन नाडेप टांकों का उपयोग करने का निर्णय लिया। साथ ही इस कार्य में ग्रामीणों को ही शामिल करने का निर्णय लिया गया, जिससे एक ओर जहां गांव में बने इन टांकों का शत - प्रतिशत उपयोग कचरे से खाद बनाने में होने लगा है, तो वहीं किसानों ने स्वयं जैविक खाद बनाना सीख लिया है और उसका उपयोग करने के लिए उत्सुक हैं। इससे खेत की उर्वरता शक्ति भी बढ़ेगी और रसायनिक खाद पर निर्भरता कम होगी।
इस नवाचार के तहत कलेक्टर श्री सिंह के मार्गदर्शन में कृषि विभाग के तकनीकी अमले एवं जनपद स्तरीय अमले को इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किये गये और निर्मित नाडेपों में खाद सामग्री भरने के लिए 02 माह, 01 मई से 30 जून 2024 तक की समय सीमा निर्धारित की गई। स्वच्छ भारत मिशन एवं अन्य मदो के अंतर्गत निर्मित लगभग 8507 नाडेपों में खाद बनाने के लिए इन्हें भरवाने का कार्य प्रारंभ हुआ, जिसमें लगभग 68050 व्यक्तियों ने सहभागिता की, जिसमें कृषक, ग्रामीण समुदाय, स्व सहायता समूह की सदस्य, पंचायत प्रतिनिधि आदि सभी शामिल थे। मॉर्निंग फॉलोअप के द्वारा किसानों एवं हितग्राहियों को नाडेप उपयोग एवं जैविक खाद उपयोग से खेतो की उर्वरता बढ़ाने के बारे में समझाईश दी गई। जिससे उन्हें नाडेप की उपयोगिता पता चली। ग्रामों में निर्मित नाडेपों में सभी स्टेक होल्डर के सहयोग से खाद भरवाने का काम पूर्ण कराया गया। नाडेप मे खाद सामग्री पूर्ण रूप से भर जाने पर 01 नाडेप से लगभग 500 से 1000 किलो जैविक खाद निर्मित होती है एवं वर्ष में 03 बार नाडेप से खाद तैयार की जा सकती है। नाडेप से 01 बार खाद निर्माण में लगभग 10,000 रुपए की जैविक खाद तैयार की जा सकती है। इस प्रकार वर्ष में लगभग 30,000 रुपए की जैविक खाद तैयार होती है, जिससे अनुमानित 05 से 10 बोरी डी०ए० पी० खाद डालने से खेतों को बचाया जा सकता है। निर्मित नाडेप में जिले द्वारा किये गये नवाचार से किसानों और हितग्राहियों को गांव में ही जैविक खाद खेतों में उपयोग के लिए मिल जायेगी। इससे न सिर्फ जैविक खेती को जिले में बढावा मिलेगा, बल्कि इससे ग्रामीणों की रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होगी एवं उन्हें आर्थिक मदद मिल सकेगी। जिले के इस नवाचार को भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा सराहा जा रहा है।
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