ज़ाहिद खान, एडिटर इन चीफ़
छिंदवाड़ा- हमेशा से ही सुर्खियों में रहने वाला नगर निगम छिंदवाड़ा एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है वैसे तो नगर निगम के पूर्व में कई ऐसे काम है जो शासन को भारी क्षति पहुंचाने के लिए काफी है। चाहे शहर में बिछाई गई करोड़ों की वाटर लाइन की बात हो या फिर निगम क्षेत्र में बने लोकल बसों के स्टॉपेज स्टैंड की बात हो, छिंदवाड़ा के छोटा तालाब सौंदर्य करण को लेकर भ्रष्टाचार और नगर में बनी सड़कों और नालियों में गुणवत्ता की बात हो, लगातार निगम के कामों पर प्रश्न चिन्ह समय-समय पर लगते आ रहे हैं जिसके चलते शासन की राशि का दुरुपयोग उजागर भी हुआ है तो वहीं अब निगम छिंदवाड़ा के एकमात्र गर्ल्स कॉलेज को आर्थिक क्षति पहुंचाने में जुट गया है। लगता है निगम को गलत नीतियों के चौके छक्के लगाने की आदत सी हो गयी है।
दरअसल इस बार निगम मथुरा प्रसाद स्कूल की विभिन्न सामग्रियों की नीलामी को लेकर सुर्खियों में है नगर निगम मथुरा प्रसाद स्कूल के खिड़की दरवाजे सागौन के बत्ते सहित अन्य लोहे की सामग्री की नीलामी आगामी 9 मार्च को करने जा रहा है जबकि 20 जनवरी 2017 को नगर निगम ने उक्त स्कूल भवन गर्ल्स कॉलेज को अधोहस्तांतरित कर चुका है। उक्त आवंटन के बाद मथुरा प्रसाद स्कूल भवन के निर्माण और अन्य सामग्री का हक गर्ल्स कॉलेज प्रबंधन को होना चाहिए था, लेकिन निगम इसके विपरीत नीलामी कराने जा रहा है। इधर पूर्व की बातों पर जहन डालें तो, निगम ने मथुरा प्रसाद स्कूल से संबंधित किसी भी जानकारी RTI के तहत मांगे जाने पर 20 जनवरी 2017 को उक्त स्कूल भवन गर्ल्स कॉलेज को आवंटित कर दिए जाने का लेटर जारी कर सभी विवादों से पल्ला झाड़ लिया था। तो फिर अब निगम स्कूल की सामग्री की नीलामी किस हक से कराने जा रहा है…? साफ है कि गर्ल्स कॉलेज यह नीलामी कराता तो कॉलेज को वित्तीय फायदा पहुंचता और उस से आने वाली राशि का उपयोग शिक्षण कार्य में हो पाता…?
करोडों की जल आवर्धन योजना पर चुप्पी
निगम क्षेत्र की जनता को बेहतर पेयजल सुविधा देने की मंशा से मध्यप्रदेश शासन ने जल आवर्धन योजना के तहत नगर निगम छिंदवाड़ा को करोड़ों का आवंटन दिया था। जिसके तहत उक्त योजना अंतर्गत शहर में पाइप लाइन बिछाने का काम इंडियन ह्यूम पाइप प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दिया गया था। बाकायदा शहर में लाइन बिछाई गई, लेकिन उस लाइन का सदुपयोग आज तक निगम नहीं कर पाया है। जानकारों की माने तो निगम के पास वर्तमान में नगर में बिछाए गए उक्त पाइपलाइन का मैप भी नहीं है। वहीं इस लाइन के बिछने के बाद निगम द्वारा सीसी रोड निर्माण युद्ध स्तर पर करा दिया गया, जिसके बाद जल आवर्धन के पाइप कहां बिछाए गए हैं यह पता लगाना भी अब मुश्किल हो गया है। लेकिन सवाल यह उठता है क्या आखिल शासन की राशि का निगम द्वारा उचित इस्तेमाल हुआ और अगर हुआ है तो अब तक जल आवर्धन की पाइप लाइन शुरू क्यों नहीं हो पाई है….? सवाल यह भी उठता है कि नगर में नल कनेक्शन हेतु मीटर क्यों नहीं लगाए जा सके…..? ऐसे अनेकों सवाल नगर में लंबे समय से चर्चा का विषय है और अब निगम चुनाव में यह एक मुद्दा भी बनेगा….