स्टेट डेस्क/छिंदवाड़ा- नौकरियों में लागू आउटसोर्स, अस्थाई प्रथा ने जिले के हजारों आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारियों के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया है, उन्हें न जिंदा रहने लायक वेतन मिलता है और न ही नौकरी में सुरक्षा है। यह नौकरियां देकर सरकार ने संविधान में मिले समान काम-समान वेतन का अधिकार छीन लिया है। कामगार वर्ग को रोजगार में सुरक्षा एवं सम्मानजनक वेतन देने के लिए बनाए गए श्रम कानूनों पर अमल नहीं हो रहा है, जिस कारण ही 5 साल में पुनरीक्षित होने वाला न्यूनतम वेतन 10 साल बाद किया, वह भी अब तक कामगार कर्मचारी वर्ग के हाथ नहीं आया है। 3 दिसंबर को माननीय न्यायालय से स्टे हट जाने के बाद भी सरकार एवं श्रम विभाग की ओर से पुनरीक्षित न्यूनतम वेतन का एरियर सहित भुगतान कराने का आदेश नहीं निकाला है, जिससे श्रमिक-कर्मचारी वर्ग में नाराजगी है, इसको लेकर 6 जनवरी को आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया जाएगा, इसके साथ ही ग्राम पंचायतों के चौकीदार, पंप आपरेटर, भृत्य जिला पंचायत का घेराव करेंगे।
प्रेस को जारी विज्ञप्ति के जरिए पंचायत चौकीदार संघ के जिला अध्यक्ष राजू कुडापे, पान्डुर्ना अध्यक्ष कृष्णा मांजरीवार, नेमी विश्वकर्मा, संतोष उईके, राजेश यादव, अंशकालीन अध्यक्ष सुरेश पवार, मेहमूद, आउटसोर्स कर्मचारी नेता शरद पंत, शबनम अली, कन्हैया राजपूत, राकेश सांवले, अरूण कराडे आदि कर्मचारी नेताओं ने बताया कि 12 बजे सभी कर्मचारी इंदिरा तिराहे पर एकत्रित होकर धरना देंगे और जुलूस निकालकर कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रदर्शन कर ग्यापन देंगे।
एमपीईबी के आउटसोर्स कर्मियों, ग्राम पंचायतों के चौकीदारों की बैठकों में बोलते हुए प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन की तैयारियों के लिए विभिन्न विभागों के आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारियों के बीच चल रही हैं, शर्मा ने बताया कि आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारियों के बारे में वैधानिक स्थिति यह है कि जो कर्मचारी मध्य प्रदेश शासन के अंतर्गत विभिन्न विभागों में ठेका, आउटसोर्स कर्मचारी के रूप में कार्य करते हैं अथवा जो कर्मचारी विभागों के लिए सीधे कार्य कर रहे हैं। इन श्रमिकों को कर्मचारी भविष्य निधि एवं प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम 1952 के अंतर्गत सदस्य बनाना एवं संबंधित विभागाध्यक्ष, ठेकेदार या एजेंसी का कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में पंजीयन कराते हुए नियोजक और कर्मकार का निर्धारित अंशदान जमा कराना वैधानिक रूप से अनिवार्य है, इसका उल्लंघन होने पर सरकार के द्वारा संबंधित उत्तरदायी के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जा सकती है। कामगार वर्ग को मिले उपरोक्त कानूनी अधिकार नौकरी में सुरक्षा, सम्मानजनक वेतन एवं सामाजिक सुरक्षा का अधिकार देते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में उक्त कानून का खुला उल्लंघन हो रहा है और श्रम विभाग चुप्पी साधे तमाशा देख रहा है। शर्मा ने कहा कि ग्राम पंचायतों, नगरीय निकायों, स्कूलों, छात्रावासों, सरकारी विभागों में लाखों की संख्या में अस्थाई कर्मचारी हैं, जिन्हें विभाग द्वारा सीधे वेतन दिया जाता है, इन्हें श्रम कानूनों का लाभ नहीं मिलता है, जबकि श्रमायुक्त के आदेश इन्हें न्यूनतम वेतन, पीएफ, ईएसआई के दायरे में लाए जाने के हैं। ऐसी ही स्थिति सरकारी विभागों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों की है, जिन्हें भी श्रम कानून के तहत मिले अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है, इसके खिलाफ 6 जनवरी को सभी प्रकार के अस्थाई, आउटसोर्स, ठेका कर्मचारी एवं श्रमिकों को श्रम कानूनों का लाभ दिलाने, पुनरीक्षित न्यूनतम वेतन अप्रैल 2024 से एरियर सहित भुगतान कराने एवं न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के तहत अप्रैल 2024 में पुन: न्यूनतम वेतन पुनरीक्षित कर 21,000 रुपए किए जाने तथा ग्राम पंचायतों एवं स्कूलों-छात्रावासों के कर्मचारियों को श्रम कानूनों का लाभ दिलाने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया जाएंगा और मुख्यमंत्री एवं श्रम मंत्री के नाम ग्यापन दिए जाएंगे। शर्मा ने आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी श्रमिक साथियों से प्रदर्शनों में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने की अपील की है।
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