ज़ाहिद खान, एडिटर इन चीफ़ 9425391823
कोरोना संक्रमण के चलते लगे लॉक डाउन में कुछ तथाकथित राष्ट्रभक्तों ने इस महामारी को भी धार्मिक स्वरूप देने के पुरजोर प्रयास किए, कोरोना जिहाद जैसे कई नामों के बहाने दरारें पाड़ने के काम किए गए. इसके विपरीत कोरोना योद्धाओं ने इन दरारों को भरने का काम किया है… छिंदवाड़ा में छत्तीसगढ़ कोरबा के 9 जमाती लॉक डाउन के कारण फंसे हुए थे, जिन्हें प्रशासन ने क्वॉरेंटाइन रखा था. जब इन सभी को उनके घर वापस भेजा जा रहा था, तो बहुत ही मार्मिक दृश्य दिखाई दिया. जमाती प्रशासन के नुमाइंदों, स्वास्थ कर्मियों के व्यवहार और सेवा से इतने खुश थे कि उन्हें यह समझ ही नहीं आ रहा था कि जाते जाते इन्हें क्या तोहफा दें…? क्योंकि उनके पास कुछ बचा भी नहीं था, कर्मचारियों और जमातियों के बीच स्नेह-प्रेम इतना हो गया था, कि कुछ नहीं मिला तो तोहफे में जमातियों ने अपना खून दे दिया, और एक वादा भी कर गए- अगर भविष्य में भी जरूरत पड़ी तो फिर खून देने आएंगे….
स्टेड डेस्क- छिंदवाड़ा में रुके हुए तब्लीग जमात के सदस्य वापस अपने घर जिला कोरबा छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हुए, छत्तीसगढ़ से मार्च में तब्लीग जमात के 9 सदस्य छिंदवाड़ा आए थे. लॉक डाउन के कारण इन सभी सदस्यों को छिंदवाड़ा में ही रुकना पड़ा.
जानकारी मिलने पर इन सभी का टेस्ट किया गया. जिसमें सभी लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई और इन्हें खजरी चौक स्थित छात्रावास में क्वॉरेंटाइन किया गया था। छिंदवाड़ा से वापस अपने घर के लिए निकलते समय इनके अमीर लाइक साहब ने एसडीएम साहब को धन्यवाद दिया और बताया कि प्रशासन स्वास्थ्य कर्मी और पुलिसकर्मियों ने हमारे साथ बहुत अच्छा व्यवहार और सहयोग किया जिस हॉस्टल में हमें क्वॉरेंटाइन किया गया था वहां के कर्मचारियों ने भी हमारी बहुत सेवा की।
लौटते समय हमें समझ नहीं आ रहा था की जिस छिंदवाड़ा से हमें इतना प्रेम मिला है उसको हम क्या देकर जाएं, बहुत विचार करने के बाद ध्यान आया की वर्तमान स्थिति के हिसाब से देने के लिए हमारे पास जो सबसे अमूल्य चीज है वह रक्त है. हमने परासिया रोड स्थित छिंदवाड़ा ब्लड बैंक में ब्लड डोनेट किया और आगे भी कभी अगर छिंदवाड़ा को हमारी कुछ जरूरत पड़ती है तो इसके लिए हम सदैव तत्पर हैं, यहां मिले प्रेम को हम अपने जीवन में कभी भुला नहीं पाएंगे.