ज़ाहिद खान, एडिटर 9425391823

स्टेड डेस्क, मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में आदिवासियों को शिक्षा मुहैया कराने वाला विभाग एक बार फिर चर्चाओं में है हालांकि इस विभाग के चर्चे आम होना कोई नई बात नहीं है, यहां हर मौसम में एक बड़ा भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामले उजागर होते रहते हैं। हम बात कर रहे हैं आदिवासी विकास विभाग की, जहां इन दिनों एक अनुकंपा नियुक्ति वाले कर्मचारी के लगातार हो रहे प्रमोशन चर्चा का विषय बना हुआ है। रोचक बात तो यह है कि इस अनुकंपा नियुक्ति वाले कर्मचारी को अब पीएससी से पास होकर बनने वाले अधिकारी की पोस्ट दे दी गई है।


दरअसल मामला सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग में पदस्थ अनुकंपा नियुक्ति वाले सहायक शिक्षक पराग अमोली के प्रमोशन का है। जिन्हे मंडल संयोजक नियुक्त किया गया है यह नियुक्ति सहायक आयुक्त द्वारा की गई है। यह परिपाटी यहीं तक सीमित नहीं है यदि देखा जाए तो श्री अमोली लगभग 14 साल पहले सहायक शिक्षक के पद पर विभाग में नियुक्त हुए थे जिसके बाद वे लगातार इतने सालों तक एक ही जगह पदस्थ हैं। अधिकारियों की उन पर इतनी अनुकंपा है कि उन्हें 24,10, 2016 को सहायक शिक्षक से कार्यक्रम निरीक्षक बना दिया गया, यह सिलसिला यहीं नहीं थमा, श्री अमोली के लिए 24 तारीख हमेशा लकी रही है इन्हें गत 24 अक्टूबर 2016 को कार्यक्रम निरीक्षक बनाया गया तो वही 24 जून 2020 को मंडल संयोजक के पद पर प्रमोट कर दिया गया। वे पूर्व में क्षेत्र संयोजक एवं अन्य पदों पर भी रह चुके हैं। आला अधिकारी की इस अनुकंपा कर्मचारी पर इतनी ज्यादा अनुकंपा होना कई प्रश्नों को जन्म देता है।


अब सवाल यह उठता है कि क्यों सहायक शिक्षक अनुकंपा नियुक्ति को मंडल संयोजक बना दिया गया? जबकि विभाग में प्रतियोगिता परीक्षा से बने मंडल संयोजक और क्षेत्र संयोजक है? बताया जाता है कि प्रतियोगी परीक्षा से बने मंडल संयोजक और क्षेत्र संयोजकों के साथ वर्षों से भेदभाव किया जा रहा है साथ ही शासन द्वारा नियुक्त मंडल संयोजक को उनकी जिम्मेदारी से दरकिनार करते हुए अनुकंपा कर्मी को जिम्मेदारी दी जा रही है? क्या प्रतियोगी परीक्षा से उस मुकाम पर पहुंचे अधिकारी उस कार्य के लिए फिट नहीं है? यदि फिट नहीं है तो क्या सहायक आयुक्त द्वारा शासन को इसकी जानकारी दी गई है? क्या विभाग में एक ही व्यक्ति इस लायक है जो पीएससी से पास हुए अधिकारियों से ज्यादा पात्रता रखता है?


हमने खबर के साथ उन नियुक्ति पत्रों को भी दर्शाया है जिसमें सहायक शिक्षक पराग अमोली को विभिन्न पदों पर नियुक्ति किया गया है। दरअसल इस विभाग में कार्यक्रम निरीक्षक का एक ही पद है जिसमें पराग अमोली को पदस्थ किया गया था इसके बाद उन्हें मंडल संयोजक या क्षेत्र संयोजक जैसे पदों पर रखना नियमों में कितना सही है यह पता लगाना अब आला अधिकारी का काम है, लेकिन यह स्पष्ट है कि विभाग में प्रतियोगी परीक्षा से आए अनुभवी कार्यशील कर्मचारियों के साथ अन्याय है। इस संबंध में सहायक आयुक्त से संपर्क ना होने के कारण विभाग कामत नहीं लिया जा सका है।

आगे की ख़बर में आपको बताएंगे कि सहायक आयुक्त के इस चहेते कर्मचारी की कार्यशैली कैसी है वहीं इनके विपरीत अन्य मंडल संयोजक जो कि प्रतियोगी परीक्षा से पदस्थ हुए हैं उनकी कार्यशैली कैसी है हम जल्द ही यह तुलनात्मक ख़बर आप तक पहुंचाएंगे।

इसके साथ ही हम शासन के नुमाइंदों के द्वारा जारी किए जा रहे इस तरह के नियुक्ति आदेश की भी समीक्षा रिपोर्ट कानूनविदों और जानकारों के मुताबिक आप तक पहुंचाएंगे।

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