छिंदवाड़ा- जिले के 12 उत्कृष्ट विद्यार्थियों एवं कोविड काल में काम करने वाली समाजसेवी संस्थाओं को पुरस्कृत किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अब्दुल रऊफ शेख (रिटायर्ड कमिश्नर नागपुर), रूमी पटेल (अंजुमन सदर छिंदवाड़ा), हाजी रफीक, इब्राहीम बख्श आज़ाद (हिंगनघाट), रहमत अली (नागपुर) उपस्थित थे.
न्यू युवा परिवर्तन छिंदवाड़ा में सभी वर्गों के बीच शैक्षणिक जागरूकता लाने का प्रयास कर रहा है। इसके अलावा यह संगठन जनता तक सरकारी योजनाओं जैसे आयुष्मान, RTE की जानकारी पहुंचाता है ताकि जनता को योजना का लाभ मिल सके , योजना के लिए क्या क्या डॉक्यूमेंट की आवश्यकता होती है इस तरह से मार्गदर्शन कर योजना का लाभ दिलवाने का प्रयास करता है। सप्ताह में एक बार विद्यार्थियों को उनकी आर्थिक स्थिति, शारीरिक क्षमता के अनुसार एक्सपर्ट्स द्वारा निः शुल्क कैरियर गाइडेंस दिया जाता है।
संस्था के सचिव और संचालक राज़िक मलिक का कहना है कि मैंने 31 अगस्त 2016 को टाइम्स ऑफ इंडिया में एक न्यूज़ पढ़ा जिसमें मुसलमानों के माथे पर सबसे अनपढ़ समाज का कलंक लगा हुआ था। 2011 सेंसस के अनुसार भारत में लगभग 43% से अधिक मुसलमान अनपढ़ हैं और सिर्फ लगभग 2.8% ही मुस्लिम ग्रेजुएट हो पाते हैं अजीब इत्तेफाक ये था कि सबसे कम पढ़े लिखे और सबसे अधिक पढ़े लिखे, दोनों ही अल्पसंख्यक थे। फिर मैंने ठाना कि समाज को स्थिर रखने के लिए जो लोग किसी भी वजह से पीछे छूट गए हैं उन्हें मुख्यधारा में लाना ज़रूरी है और फिर लोगों को जोड़कर इस क्षेत्र में काम करना शुरू किया।
काम करने के बाद मुझे समझ आया कि ज़्यादातर जनता की समस्या का बड़ा कारण जानकारी का अभाव है। जैसे कि राइट टू एजुकेशन जैसी कोई चीज़ होती है जिसके तहत गरीब आदमी अपने बच्चे को उस प्राइवेट स्कूल में पहली से 12 वीं तक पढ़ा सकता है जिसकी फीस वार्षिक 25-30 हज़ार ₹ होती है। बच्चा 12 वीं पास हो गया लेकिन बच्चे को भी और मां बाप को भी पता नहीं है कि आगे क्या करना है इस जानकारी के अभाव में बच्चा गलत रास्ते में निकल पड़ता है।
इस जानकारी के अभाव को दूर करने के लिए हमने युवा परिवर्तन के नाम से एक इन्फर्मेशन एंड गाइडेंस सेंटर खोला है जिसके माध्यम से हम भीड़ में खड़े आखिरी व्यक्ति तक सूचना पहुंचा कर उसका मार्गदर्शन करना चाहते है। इस काम में हमारी मदद के लिए कॉलेज के कुछ प्रोफेसर्स, स्कूल के शिक्षक और रिटायर्ड ऑफिसर्स अपना कीमती समय देने के लिए आगे आए है. महात्मा गांधी के लिए समाज का आखिरी व्यक्ति ही सब बातों की कसौटी था। ईमानदारी से सोचें तो ये कसौटी आज भी उतनी ही सही है कि आज हम जिस विकास की बात कर रहे हैं उसका लाभ समाज के आखिरी आदमी को कितना मिल रहा है। अमेरिका के 40वें राष्ट्रपति सर रोनाल्ड रीगन कहते थे हम सबकी मदद तो कर नही सकते, लेकिन हर कोई व्यक्ति किसी ना किसी की मदद तो कर ही सकता है.
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