नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) आमतौर पर इस तरह के सर्वेक्षण करता है, लेकिन इस बार महिला और बाल कल्याण विभाग ने सर्वे किया है.

स्टेड डेस्क- कुपोषण के मामले में मध्य प्रदेश से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग ने राज्य के लगभग 10 लाख बच्चों पर अध्ययन किया, जिसमें 4 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार मिले. इस अध्ययन में 70 हजार से ज्यादा बच्चे गंभीर कुपोषित मिले, 3.50 लाख बच्चों में मध्यम से तीव्र कुपोषण मिला है. गंभीर रूप से कुपोषित 70 हजार बच्चों में 6000 बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र (NRC) में भर्ती किया गया है. इनमें नवजात से लेकर 6 वर्ष तक के आयु के बच्चे शामिल हैं.


मध्य प्रदेश महिला बाल विकास विभाग ने कराया सर्वे
इंदौर में 12540, सागर 11184, रीवा 9260, उज्जैन 7555, ग्वालियर 6829, भोपाल में 4126, चंबल 4163 बच्चे कुपोषण के शिकार मिले. इस अध्ययन में एक तिहाई से अधिक बच्चे त्वचा और हड्डी रोग से पीड़ित मिले हैं. सर्वेक्षण में कहा गया है कि वे गंभीर तीव्र और मध्यम कुपोषण से पीड़ित हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) आमतौर पर इस तरह के सर्वेक्षण करता है, लेकिन इस बार महिला और बाल कल्याण विभाग ने सर्वे किया है. कुपोषण केंद्र में भर्ती किए गए बच्चों के अलावा अन्य कुपोषित बच्चों का उनके घरों में इलाज किया जा रहा है.


मध्य प्रदेश बच्चों के कुपोषण के मामले में शीर्ष पर

बता दें कि कई वर्षों से देश भर में बच्चों के बीच कुपोषण के मामले में मध्य प्रदेश शीर्ष पर है. कुपोषण के बढ़ते मामले को देखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग ने गंभीर व तीव्र कुपोषण के मामलों की पहचान के लिए पूरी निगरानी प्रणाली स्थापित की है. आगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों को ऐसे बच्चों की साप्ताहिक निगरानी करनी होती है. जिन बच्चों को एनआरसी में भर्ती नहीं किया गया है, उन्हें अतिरिक्त स्वस्थ भोजन उपलब्ध कराने का प्रावधान डब्ल्यूसीडी की ओर से किया गया है.

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