स्टेड डेस्क/छिंदवाड़ा- छिंदवाड़ा वन व्रत एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है, जहां सतपुड़ा के हरे-भरे जंगल इमारती लकड़ियों से भरा पड़ा है ऐसे में सेटिंग से तस्कर हमेशा से ही सक्रिय रहते हैं। वहीं फर्नीचर का काम करने वाले भी आसानी से इमारती लकड़ी हासिल कर लेते हैं लेकिन लाइसेंस के आधार पर मिलने वाली इमारती लकड़ी और फर्नीचर बनाने वालों के द्वारा बेची जाने वाले फर्नीचरों में अंतर स्पष्ट दिखाई देता है। इससे यह भी साफ हो जाता है कि बगैर अधिकारिक सहयोग के संभव नहीं है। लेकिन इन सबके बीच कई व्यापारी ऐसे हैं जो लाइसेंस पर फर्नीचर का काम विधिवत करते हैं ऐसे व्यापारियों से रेंजरों को बड़ी दुश्वारी होती है। क्योंकि इनसे अधिकारी को ऊपरी इनकम नहीं होती। यही वजह है कि अधिकारी विधिवत काम करने वालों को विभिन्न तरीके से प्रताड़ित करना शुरू कर देते हैं।
कुछ ऐसी दुश्वारी से प्रेरित एक मामला छिंदवाड़ा वन वृत्त के दक्षिण वन मंडल अंतर्गत पांढुर्ना वन परिक्षेत्र का सामने आया है, जहां फर्नीचर व्यापारी से रेंजर द्वारा एक लाख रुपए की रिश्वत मांगी जा रही थी। यह रकम इसलिए मांगी जा रही थी कि उन्हें फर्नीचर का काम अगर रेंज क्षेत्र में करना है तो पैसा लगेगा। यह आरोप रेंज अंतर्गत लाइसेंसी फर्नीचर का काम करने वाले व्यापारी ने रेंजर पांढुर्ना पर लगाया है
पीड़ित की शिकायत पर आज लोकायुक्त की टीम ने पांढुर्णा रेंजर को 50 हजार रुपए नकद लेते हुए ट्रैप किया है। लोकायुक्त की टीम ने उक्त आशय की जानकारी देते हुए बताया कि रेंजर श्री भलावी द्वारा क्षेत्र के एक लाइसेंसी बढ़ई से फर्नीचर दुकान संचालन की के एवज में एक लाख रुपए मांगा था जिसकी सूचना मिलने पर आज ₹50000 लेते हुए रंगे हाथों ट्रैप किया गया है। उन्होंने बताया कि फिलहाल हम आगे की कार्यवाही कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर आरोपी रेंजर का कहना है कि मुझे फसाया जा रहा है मैंने पैसों की मांग नहीं की थी?
बाहरहाल यह अब इन्वेस्टिगेशन का मामला है जिसके बाद यह साफ हो जाएगा की कसूरवार कौन है…? लेकिन यहां यह भी साफ है कि छिंदवाड़ा वन व्रत में इमारती लकड़ियों का सौदा होना और अधिकारियों की नाक के नीचे से तस्करों का जंगल में मंगल करना कोई नई बात नहीं है…
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