स्टेड डेस्क/छिंदवाड़ा- भ्रष्टाचार!; इस शब्द से ही घृणा होती है लेकिन, पशु चिकित्सालय में पदस्थ अधिकारी और कर्मचारियों को भ्रष्टाचार शब्द से कुछ ज्यादा ही प्यार है! इस कार्यालय में शासन की राशि की बंदरबांट करना आम सा हो गया है. दूध के धुले अधिकारी और कर्मचारी भी इसकी ज़द से बच नहीं पाए हैं। यहां अंगद के पांव वाले अधिकारी और कर्मचारियों की भी कमी नहीं है। जी हां 2 दशकों से भी ज्यादा समय से कार्यरत अधिकारी, ना अपने विभागीय अधिकारी की सुनते हैं और ना ही अन्य आला अधिकारी की बात मानते हैं..?


दरअसल पशु चिकित्सा विभाग छिंदवाड़ा मैं हुबहू ऐसा ही आलम छाया हुआ है जहां उपसंचालक पशु चिकित्सालय में पदस्थ कर्मचारी और अधिकारी इन दिनों सुर्खियों में बने हुए हैं. इस कार्यालय में बीते 20 वर्षों से कार्यरत डॉक्टर की कार्यप्रणाली चर्चाओं का विषय बनी हुई है. इन पर कई गंभीर और संगीन आरोप भी लगे हैं. जिसमें स्वयं के नाम पर सालाना लगभग 20 लाख के पैड वाउचर निकाले जाने एवं अन्य भ्रष्ट कार्यप्रणाली में संलिप्त होने के आरोप लगे हैं. शिकायत उपरांत जिला कलेक्टर, जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी के द्वारा उक्त आरोपों पर गंभीरता से जांच प्रतिवेदन बनाए जाने के आदेश हुए थे, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि यहां पदस्थ अधिकारी आला अधिकारी के नोटिस को भी अंगूठा दिखाने से बाज नहीं आए…? चौंकाने वाली बात यह है कि जिला पंचायत सीईओ द्वारा इस मामले पर तीन-तीन पत्र लिखे जाने के बावजूद भी वास्तु स्थिति का प्रतिवेदन जमा नहीं कराया गया है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पशु चिकिित्सा कार्यालय में किस डाल पर उल्लू बैठा है और किस डाल पर बाज़…!

लगातार पशु चिकित्सा विभाग में शासन की राशि की बंदरबांट किए जाने के मामले हुए हैं, लेकिन ना जाने क्यों यह मामले उजागर नहीं हो पाए हैं? इसी को दृष्टिगत रखते हुए हम अपने अगले एपिसोड में बताएंगे कि किस अधिकारी ने पैड वाउचर से लाखों डकार गए और किस अधिकारी कर्मचारी ने शासन की राशि से खरीदी गई सामग्री अपने घर की शोभा बढ़ाने के लिए ले गए…! पढ़िए हमारे अगले एपिसोड में…

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