सेंट्रल डेस्क- वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2022 के लिए पेट्रोलियम सब्सिडी का बजट घटाकर 12,995 करोड़ रुपए कर दिया है. साथ ही सरकार ने इस बजट में 1 करोड़ नए लोगों को उज्ज्वला स्कीम के तहत लाभ देने की बात कही है. सरकार को ऐसा उम्मीद है कि एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में इजाफा करने से उस पर ​सब्सिडी का बोझ कम होगा. मिंट की एक खबर के मुताबिक सरकार इस सब्सि​डी को खत्म करने की दिशा में बढ़ रही है. इसलिए केरोसिन और एलपीजी के दाम में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

बता दें कि पिछले साल भी एलपीजी के दाम में लगातार वृ्द्धि देखने को मिली थी. वहीं, यही स्थिति अगले साल भी देखने को मिल सकती है. जिसकी वजह से खुदरा ईंधन विक्रेता ही एलपीजी सिलेंडर्स के दाम को रिवाइज करते हैं. सरकार एलपीजी के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत सीधे लाभार्थियों के खाते में सब्सिडी की रकम भेजती है, ज​बकि केरोसिन को पब्लिक डिस्ट्रीब्युशन सिस्टम के जरिेए कम दामों पर बेचा जाता है.

वहीं, 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष सब्सिडी के जरिए राजस्व प्राप्ति 2011-12 के 9.1 फीसदी की तुलना में घटकर वित्त वर्ष 2018-19 में यह 1.6 फीसदी पर आ गई है. जबकि 2011-12 में केरोसिन सब्सिडी 28,215 करोड़ रुपए थी, जो वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान में घटकर 3,659 करोड़ रुपए पर आ चुकी है.

ऐसे में सरकार पर उज्ज्वला स्कीम से एलपीजी सब्सिडी का बोझ बढ़ सकता है लेकिन, सब्सिडी स्कीम को गरीब वर्ग तक ही सीमित रखा जाता है या सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या को कैप कर इस बोझ को कम किया जा सकता है.

बता दें कि उज्ज्वला योजना की शुरुआत 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से की गई है. इस योजना के तहत गरीब परिवारों को सरकार की तरफ से सिलेंडर भराने के लिए 1600 रुपए दिया जाता है.

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