स्टेड डेस्क- इंदौर के डी एन एस अस्पताल में लिफ्ट गिरने के हादसे के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए थे, लेकिन अभी जांच पूरी भी नहीं हुई और अस्पताल ने लिफ्ट चालू कर दी. जबकि इसी लिफ्ट के गिरने से पूर्व सीएम कमलनाथ, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और जीतू पटवारी समेत कई कांग्रेस नेता बाल-बाल बचे थे. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने न केवल घटना की जांच के आदेश दिए थे, बल्कि कमलनाथ से फोन पर कुशलक्षेम भी पूछा था.
इंदौर दौरे के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री रामेश्वर पटेल को देखने DNS अस्पताल पहुंचे थे. वे तीसरी मंजिल पर भर्ती पटेल को देखने के लिए जैसे ही लिफ्ट में चढ़े लिफ्ट बेसमेंट में जाकर धड़ाम से गिर गई. किसी को संभलने का मौका तक नहीं मिला. सब लिफ्ट के अंदर ही गिर पड़े. पूरी लिफ्ट में धूल का गुबार छा गया. किसी को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. सभी ने कमलनाथ और एक दूसरे को संभाला. करीब 3-4 मिनट बाद स्थिती सामान्य हुई. जैसे ही लिफ्ट खुली, कमलनाथ धूल साफ करते हुए आगे बढ़े. सीढ़ियों से ही नेताओं के साथ तीसरी मंजिल पर चल पड़े. रास्ते में बोले यदि ओवरलोडिंग वजह होती तो लिफ्ट इतनी रफ्तार से नीचे नहीं गिरती. बल्कि सेंसर बजता. ये तो टूटकर गिरी है.
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही गंभीर…
घटना के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ से फोन पर बात की और तत्काल मजिस्ट्रियल जांच के आदेश भी दे दिए. गौर करने वाली बात तो यह है कि हादसे वाली लिफ्ट चालू कर दी गई और मरीज इससे आ-जा रहे हैं. इसे गंभीर लापरवाही कहा जाएगा कि जब मजिस्ट्रियल जांच पूरी नहीं हुई तो लिफ्ट कैसे चालू कर दी गई. इस लिफ्ट में साफ लिखा है कि छह लोग औऱ 408 किलो वजन ही इसमें जा सकता है इस बात को किसी ने नहीं बताया औऱ ये हादसा होते-होते बच गया.
शिफ्ट हुए रामेश्वर पटेल…
इस घटना के बाद कांग्रेस नेता सत्यनारायण पटेल अपने पिता रामेश्वर पटेल को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए ले गए. उन्होने कहा कि कमलनाथ के साथ उनके बडे़ भाई भी लिफ्ट में सवार थे. लिफ्ट में ज्यादा लोग सवार होने से पहले ही लिफ्ट आवाज करने लगी. और उसके बाद लिफ्ट बेसमेंट में जाकर गिरी. उसके बाद कमलनाथ समेत सभी लोग एक साथ सीढ़ियां चढ़कर ऊपर की मंजिल तक पहुंचे. कमलनाथ ने कहा उन्हें कुछ नहीं हुआ है वे ठीक हैं.
बीजेपी-कांग्रेस के तर्क…
इस मामले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस अपने-अपने तर्क दे रही है. कांग्रेस के प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने कहा कि ये गंभीर लापरवाही है. प्रशासन का प्रोटोकॉल होता है कि जब पूर्व मुख्यमंत्री अस्पताल जा रहें है तो हर एक चीज की जांच हो. सुरक्षा में कोई चूक न हो जाए. सुरक्षा अधिकारियों को पहले से जाकर लिफ्ट को चेक करना था, लेकिन ये बड़ी प्रशासनिक चूक है, जिसकी पूरी जांच होनी चाहिए. वहीं बीजेपी सांसद शंकर लालवानी का कहना है कि ये गंभीर घटना है. इस तरह की घटना नहीं होनी चाहिए थी. लिफ्ट का मेंटेनेस करने वालों को ध्यान रखना चाहिए था. अब जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही सारे मामले का खुलासा होगा.
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