नेशनल डेस्क- कोरोना महामारी के साथ ही अब ब्लैक फंगस की खतरनाक बीमारी अपने पैर पसार रही है। देश के कई राज्यों में इस बीमारी से ग्रसित मरीज मिलना शुरू हो गए हैं। ऐसे में इसके बचाव पर देश का स्वास्थ्य महकमा काम करने जुट गया है। प्राथमिक रूप से इस जानलेवा बीमारी से बचने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। जिसमें हमारी दिनचर्या से लेकर इस बीमारी के लक्षण इससे बचाव और सावधानियां जैसी महत्वपूर्ण जानकारी है। आपको यह भी बता दें कि मिट्टी से जुड़े काम करने वाले लोगों को जूते, फुल पैंट, शर्ट, ग्लब्स एवं मास्क, ब्लैक फंगस से सुरक्षित रख सकने में सहायक हैं इनका और ब्लैक फंगस का क्या रिश्ता है यह हम आपको आगे बताएंगे…
कई राज्यों में म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस नई दशहत के रूप में सामने आया है। रोजाना इसके नए मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में सतर्कता बरतकर हम इस फंगस से खुद को बचा सकते हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से जारी एडवाइजरी आपके बेहद काम की हो सकती है। यह जानकारी स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से जारी की गई है। आइए जानते हैं कि ब्लैक फंगस क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।
हवा में ब्लैक फंगस… म्यूकरमाइकोसिस एक फंगल इन्फेक्शन है यह उन लोगों को प्रभावित करता है, जिनका इम्यून सिस्टम किसी बीमारी या इसके इलाज की वजह से कमजोर हो जाता है। ये फंगस हवा में मौजूद होता है और ऐसे लोगों में पहुंचकर उनको संक्रमित करता है।
किनको है ज्यादा खतरा… जिनको अनकंट्रोल्ड डायबीटीज हो, स्टेरॉयड ले रहे हों, लंबे वक्त तक आईसीयू में रहे हों, किसी तरह का ट्रांसप्लांट हुआ हो, वोरिकोनाजोल थेरेपी ली हो (एंटीफंगल ट्रीटमेंट)
ऐसे कर सकते हैं बचाव… धूल-मिट्टी भरी कंस्ट्रक्शन साइट पर जाएं तो मास्क जरूर पहनें। बागवानी या मिट्टी से जुड़ा काम करते वक्त जूते, फुल पैंट्स-शर्ट और दस्ताने पहनें । पर्सनल हाईजीन का ध्यान रखें। रोजाना अच्छी तरह नहाएं।
ऐसे पहचानें लक्षण… आंख और नाक के आसपास दर्द या लालिमा, बुखार, सिर दर्द, खांसी, सांस लेने में परेशानी, उल्टी में खून और मेंटल कन्फ्यूजन, इसके कुछ लक्षण हैं।
ना करें अनदेखा… नाक जाम है या नाक से काला या खूनी पदार्थ निकले। दांत में दर्द हो, दांतों में ढीलापन लगे, जबड़े में दिक्कत हो। गाल की हड्डी में दर्द हो। त्वचा में घाव, बुखार, दर्द या धुंधलापन दिखे, खून का थक्का जमे। नाक-तालू के ऊपर कालापन आ जाए। छाती में दर्द हो, सांस लेने में दिक्कत हो।
इन बातों का रखें ध्यान… कोविड ठीक होने के बाद डायबीटीज रोगी ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखें। खून में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित रखें। स्टेरॉयड डॉक्टर की सलाह पर ही लें। इनका सही समय, सही खुराक और सही समय तक ही इस्तेमाल करें। एंटीबायोटिक और एंटीबायोटिक दवाओं का सोच-समझकर इस्तेमाल करें। ऑक्सीजन थेरेपी के लिए साफ और स्टेराइल पानी का ही इस्तेमाल करें।
ये गलतियां न करें… लक्षणों को अनदेखा ना करें। अगर नाक बंद है तो इसे साइनेसाइटिस ना समझें, खासतौर पर आप अगर हाई रिस्क कैटिगरी में हों।
डॉक्टर की सलाह पर KOH staining & microscopy, culture, MALDI-TOF जांचें करवाएं। इलाज में देर ना करें, पहला लक्षण दिखते ही अलर्ट हो जाएं।
कैसे संभालें स्थिति (चिकित्सक की निगरानी में) डायबीटीज और डायबीटीज केटोएसिडोसिस को कंट्रोल करें। अगर मरीज स्टेरॉयड ले रहा है तो इन्हें बंद करने के लिए धीरे-धीरे कम कर दें। इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग दवाएं बंद कर दें। पहले से ही एंटीफंगल दवाएं ना लें। रेडियो-इमेजिंग से मॉनिटरिंग करें।
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