स्टेड डेस्क/ छिंदवाडा- मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भारत सरकार द्वारा लागू किये गये तीन कृषि कानूनो का विरोध करते हुये प्रदेश के आगामी विधानसभा सत्र में कानूनो को निरस्त किये जाने के सन्दर्भ में प्रदेश सरकार की ओर से शासकीय संकल्प विधानसभा में प्रस्तुत किये जाने की मांग की है। ताकि संकल्प को सदन मे सर्वसम्मति से पारित किया जा सके। उन्होंने इस आशय का एक पत्र सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान को लिखा है।
इन तीन कृषि कानूनों का हो रहा है विरोध…
भारत सरकार द्वारा तीन कृषि कानून – कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020 कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आ’वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 लागू किये गये है। देशभर के किसान भाई इन कानूनो का निरन्तर विरोध कर रहे है। विगत 7 माह से किसान भाई दिल्ली में इन कानूनो को निरस्त कराने के लिए आंदोलनरत है। मध्यप्रदेश के किसान भाई एवं किसान संगठनो द्वारा भी इन कानूनो का विरोध किया जा रहा है। किसान भाईयो एवं संगठनो द्वारा उक्त कानूनो को निरस्त किये जाने की माॅग की गई हैं उक्त विषय पर डाॅ. गोविन्द सिंह माननीय विधायक एवं पूर्व मंत्री का पत्र संलग्न कर प्रेषित है, जिसमें आगामी विधान सभा के सत्र (संभावित माह अगस्त, 2021) में किसान कानूनो को निरस्त किये जाने के सम्बंध में मध्यप्रदेश विधानसभा के सदन में शासकीय संकल्प लाये जाने एवं उसे पारित कर केन्द्र सरकार को प्रेषित किये जाने के लिए आव’यक कार्यवाही हेतू लेख किया गया है।
पत्र में क्या लिखा कमलनाथ ने…
उक्त संदर्भ में कमलनाथ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने अद्र्धशासकीय पत्र क्रमांक 689 दिनांक 12 जुलाई को प्रेषित अपने पत्र मे लिखा कि आपको विदित है कि कृषि कानूनो के समग्रता में लागू होने से किसान भाई बाजार भरोसे हो जायेगा, किसानो का भला हो इसकी कोई सुरक्षा नही रहेगी एवं सरकार से प्राप्त संरक्षण भी समाप्त हो जायेगा। यह भी उल्लेखनीय है कि किसान भाईयो को उपज का समुचित मूल्य प्राप्त हो इसके लिए न्यूनतम समर्थन मुल्य की ग्यारंटी देने के सम्बंध में कोई प्रावधान कानून में नही है। साथ ही किसानो से फसल क्रय करने वाले पक्ष पर किसानो के हित में नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण के सम्बंध में स्थानीय प्राधिकारी से अनुज्ञप्ति आदि बाबत् भी कोई प्रावधान नही किये गये है। अनुबंधों एवं उनके क्रियान्वयन के सम्बंध में भी विसंगतियाॅ है। कृषि कानूनो के लागू होने से किसानो को कठिनाई एवं हानि होगी और इस कारण से अन्नदाताओ में असुरक्षा की भावना व्याप्त है। किसान भाईयों के हित में प्रदेश के सत्ता पक्ष एवं विपक्ष को संयुक्त रूप से खडा होकर किसान कानूनो को निरस्त करने के लिए केन्द्र सरकार को अनुशंसा की कार्यवाही करना चाहिए।
अतः आपसे आग्रह है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के आगामी सत्र में किसानो से सम्बंधित उक्त तीनो कानूनो को निरस्त किये जाने के लिए प्रदेश सरकार की और से शासकीय संकल्प विधानसभा में प्रस्तुत कराने का कष्ट करेंगे ताकि संकल्प को सदन में सर्वसम्मति से पारित किया जाकर अन्नदाताओं के हितो को सुरक्षित करने की ओर प्रदेश एक सशक्त कदम आगे बढ़ा सके।
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