छिंदवाड़ा जिले में उस समय हड़कंप मच गया था जब परासिया रोड के एक नवीन पक्के निर्माण को दानामेट से यह कह कर उड़ा दिया गया था की यह निर्माण अवैध है..? इसके बाद परासिया में बहुचर्चित बिल्डिंग को भी अवैध निर्माण के नाम पर धराशाई किया गया. यह सिलसिला यूं ही नहीं थमा शहर की पुरानी बस्ती एवं गुलाबरा और सत्यम शिवम कॉलोनी के पास भी बहु मंजिला इमारत को जमींदोज करने में प्रशासन ने देरी ना की थी. प्रशासन की इन कार्यवाहियों ने अवैध निर्माण करने वालों की नींद हराम कर रखी थी. इन कार्यवाई से जिला प्रशासन ने खूब वाहवाही लूटी थी. लेकिन जिला प्रशासन की कार्यवाहियों पर अब एक ऐसे मामले के चलते सवाल उठने लगे हैं जिसकी विधिवत शिकायत हुई. शिकायत के साथ तथ्यात्मक दस्तावेजों को भी शिकायतकर्ता ने संलग्न किया था. लेकिन इस अवैध मॉल पर कार्यवाही ना होना कई प्रश्नों को जन्म दे रहा है, कि आखिर इस अवैध निर्माण पर कार्यवाई करने से हमारे अफ़सरान क्यों परहेज़ कर रहे हैं..?

स्टेड डेस्क/छिंदवाड़ा- दरअसल मामला यह है कि बीती 18 फरवरी 2021 को समाजसेवी दिनेश डोले ने छिंदवाड़ा कलेक्टर के नाम नागपुर रोड नेशनल हाईवे से लगे व्यंकटेश मॉल के निर्माण को लेकर एक शिकायत प्रस्तुत की थी. शिकायत में समाजसेवी दिनेश डोले ने ऐसे कई शासकीय दस्तावेज की प्रतियां संलग्न की थी जिससे प्रथम दृष्टया यह साबित होता है कि इस मॉल का निर्माण अवैध रूप से किया गया है.? जिसमें यह भी साक्ष्य उभर कर सामने आता है कि इस चार मंजिला इमारत के स्वीकृत नक्शे के साथ भी भरपूर छेड़छाड़ की गई है. स्पष्ट होता है कि इस एक बिल्डिंग के नक्शे अनेक हो गए हैं. हालांकि यह जांच का विषय है, जिसके बाद दूध का दूध-और पानी का पानी हो जाएगा. लेकिन इन सबके बीच सवाल यह खड़ा होता है कि शिकायत को लंबा समय बीत जाने के बाद भी आला अधिकारियों ने अब तक इस गंभीर मामले को संज्ञान में क्यों नहीं लिया..?


मामले की संपूर्ण जानकारी देते हुए श्री डोले ने बताया इस संबंध में गत 18 फरवरी 2021 को कलेक्टर से लिखित शिकायत करते हुए अवगत कराया था कि व्यंकटेश मॉल के संचालक द्वारा उक्त 4 मंजिला इमारत के निर्माण के लिए नियमानुसार संबंधित विभागों से ली गई अनुमतियों के विपरीत जा कर निर्माण कराया गया है. उन्होंने बताया कि शिकायत में संबंधित प्रशासनिक दस्तावेज भी संलग्न किये है. जिनके अवलोकन से यह साफ होता है कि स्थल पर हुआ निर्माण गैर कानूनी और प्राप्त अनुमति के विरुद्ध हुआ है. उन्होंने बताया कि इस इमारत निर्माण स्वीकृत नक़्शे के विपरीत जाकर किया गया है. नगर निगम कार्यालय और नजूल द्वारा स्वीकृत नक़्शे दोनों अलग अलग है जबकि किसी भी एक स्थान के निर्माण का नक्शा एक ही होता है. लेकिन यहां मॉल संचालक ने नक़्शे के साथ छेड़छाड़ करते हुए निर्माण कर कानून का खुला उलंघन किया है. उन्होंने बताया कि स्वीकृत नक़्शे में नागपुर रोड़ से विवेकानंद कालोनी जाने वाले मार्ग पर दुकान निर्माण का उल्लेख नहीं था. जबकि वर्तमान में उक्त मार्ग पर 10 से 15 दुकाने संचालित है, जो स्पष्ट रूप से स्वीकृत नक़्शे का उलंघन है. उन्होंने बताया कि निर्माण में पूर्ण रूप से नियम और कानून का खुला उलंघन करते हुए किया गया है न तो यहां सुलभ पार्किंग है, न दिव्यांगों का रेम्प, न व्हीलचेयर, न मॉल के चारो तरफ खुला एरिया है, तलघर की अनुमति 1052 वर्गमीटर की थी लेकिन अनुमति से अधिक तलघर बना कर व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है. तलघर के लिए तीन रैम्प बनाया जाना जरूरी था लेकिन सामने कोई रैम्प नहीं बनाया गया है.

मॉल तुड़वाने की मांग…
समाजसेवी श्री डोले ने बताया कि उक्त मॉल के निर्माण में किसी भी कानून और विभागों की अनुज्ञा का पालन नहीं किया गया है. श्री डोले ने मांग की है कि एक स्वतंत्र संस्था से उक्त अवैध निर्माण की जांच कराते हुए उसे तुड़वाया जाए.

कार्रवाई में देरी क्यूं..?
इस गंभीर मामले में तत्थयों के साथ शिकायत होने के बाद भी आज तक कोई कार्रवाई न होना चिन्तनीय है. जबकि फरवरी माह के बाद दोबारा 9 जुलाई को भी स्मरण पत्र कलेक्टर को दिया गया है बावजूद इसके मामला संज्ञान में नहीं लिया गया है. आम जन में भी अब इस मामले की भारी चर्चा हो रही है कि आखिर इस अवैध निर्माण पर अधिकारी क्यों मेहरबान हैं..? कौन है इसके पीछे…? आख़िर कौन है जो इस अवैध निर्माण को तोड़ने से बचाना चाह रहा है…? वो कौनसे चेहरे हैं जो कार्रवाई के आड़े आ रहे हैं..? ऐसे अनेकों सवालों के जवाब की तलास में हम हैं. हमारे अगले अंक में पढ़िए, हम आपको बताएंगे इन्ही कुछ सवालों के पीछे का सच.. हम करेंगे उन नकाबपोशों को बेनक़ाब…
जल्द पढ़िए अगले अंक में…

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