देश में बाघों की विलुप्त होती प्रजाति को संरक्षित करने और इनकी तादाद बढ़ाने के लिए सरकारें करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं, बात करें मध्य प्रदेश की तो इसे बाघ का राज्य अभी कुछ दिन पहले ही कहना शुरू किया गया है. लेकिन देश में मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां बाघों की मौत का और उनके शिकार का सिलसिला अनवरत जारी है. कहीं करंट लगाकर बाघ का शिकार किया जाता है तो कहीं जादू टोना के लिए बाघ की बलि चढ़ा दी जाती है. ऐसे अनेकों मामले मध्य प्रदेश के विभिन्न वन मंडलों में उजागर हुए हैं. लेकिन ताआज्जुब इस बात का है कि बाघों और वन के संरक्षण के लिए बनाए गए विभाग से आज तक जिम्मेदारों पर कार्यवाही नहीं हुई है, आखिर क्यों..? जबकि वन विभाग के पास बड़ा अमला होता है और उनके पास सारी सुविधाएं भी शासन मुहैया कराता है. इसके बावजूद भी जादू टोना के लिए बाघ का शिकार हो जाता है और विभाग के अधिकारी पकड़म पकड़ाई खेल कर बाघ की खाल और अवशेष पकड़ कर वाहवाही लूटने और फोटो खींचा ने ऐसे खड़े हो जाते हैं मानो जैसे तमगा वितरण का फोटो सेशन हो रहा हो…!

स्टेड डेस्क/छिंदवाड़ा- आप इस खबर के शीर्षक को पढ़कर यह सोच रहे होंगे कि जादू टोना के माध्यम से धन वर्षा के लिए बाघ का शिकार किया जा रहा है, यह स्थान और जिला और वन मंडल कौन सा है. तो आइए हम आपको बताते हैं…. यह कारनामा छिंदवाड़ा का है..? जहां के पश्चिम वन मंडल अंतर्गत झिरपा वन परिक्षेत्र के बफर जोन क्षेत्र में कुछ आरोपियों को बाघ की खाल और अवशेष के साथ पकड़ा गया है. जिन्होंने बाघ का शिकार धनवर्षा कर अमीर होने के लिए किया है..?

दरअसल छिंदवाड़ा व्रत के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व अंतर्गत झिरपा वन परिक्षेत्र में आज चार आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. जिनके पास से मादा बाघ की खाल और अन्य अवशेष बरामद किए गए हैं. जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 10 करोड़ रुपए आंकी जा रही है. पकड़ाए आरोपियों ने विभाग के अधिकारियों को बताया कि उन्होंने 8 से 10 माह पूर्व मादा बाघ का शिकार महज़ इसलिए किया है ताकि इसके अवशेषों के माध्यम से जादू टोना कर धनवर्षा की जा सके.

विभाग की एक विज्ञप्ति में यह शर्मनाक बात बहुत ही गर्व के साथ दर्शाई गई है कि उक्त बाघ का शिकार धनवर्षा कर अमीर होने के लिए किया गया है. मगर इस विज्ञप्ति में इस बात का उल्लेख नहीं है कि जिस वन वृत्त और परिक्षेत्र से यह शिकार हुआ है उस व्रत और परिक्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई की गई है…?

कब तय होगी जिम्मेदारों पर जवाबदेही…?
लगातार बाघों के संरक्षण संवर्धन के लिए शासन प्रयत्नशील है लेकिन इसी के विपरीत विभाग पर भी जिम्मेदारी तय होना जरूरी है. उल्लेखनीय बात यह है कि विभाग के जिम्मेदार अधिकारी शिकार हुए बाघों की खाल और अवशेष तो पकड़ने में कामयाब हो जाते हैं लेकिन बाघों के शिकार को रोकने में निरंतर नाकामयाब रहे हैं. ऐसे में लगातार बाघों का शिकार हो रहा है. अब समय आ गया है कि सरकार और शासन वन विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करे. जिसमें यह नियम बने की जिस भी वन वृत्त और परिक्षेत्र में बाघों का शिकार होता है तो, उस वृत और परिक्षेत्र के अधिकारियों की भी जवाबदेही होगी और उन पर भी विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी. तभी वन्यजीवों की सुरक्षा हो पाएगी अन्यथा इसी तरह बाघों का शिकार होता रहेगा…? और विभाग पकड़म-पकड़ाई खेलता रहेगा..?

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