स्टेड डेस्क/चौरई- कोरोना काल में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने की पहल फिर अटक गई हैं। दरअसल तीसरी लहर को देखते हुए एहतियात के तौर पर नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने ऑक्सीजन लाइन डालने सहित बच्चों के लिए बेड की सुविधाएं बनानी थी। चौरई के अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट भी स्वीकृत किया गया हैं। लेकिन ऑक्सीजन लाइन के तत्काल बाद ही काम बन्द कर दिया गया। जिससे स्वास्थ्य सुविधाएं जस की तस है।

    आलम यह है कि नगर के अस्पताल में सुविधाएं शून्य हैं। कोरोना काल में यहां महज 8 ही बिस्तर थे, जिनके लिए ऑक्सीजन की भी सुविधा नहीं थी। लोगों और जनप्रतिनिधियों की मांग के बाद कलेक्टर ने यहां व्यवस्था बनाने के लिए निर्देश दिए थे। लेकिन 2 माह बीत जाने के बाद भी इनमें सुधार नहीं हुआ हैं। कलेक्टर ने अस्पताल में 50 बिस्तरों का अस्पताल बनाने के लिए निर्देश दिए थे। इसके अलावा ऑक्सीजन लाइन डालकर एक ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण किया जाना था,जिससे सभी ऑक्सीजन बेड   जुड़े रहते। लेकिन अब तक प्लांट लगाने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई। 

एक्सरे मशीन भी स्टाल नहीं हुई…
अस्पताल में सालों से एक्सरे मशीन को लेकर मांग की जा रही है। पहले टेक्नीशियन नहीं होने पर मशीन बन्द थी। वहीं अब नई मशीन आने के बाद भी उसको इंस्टाल नहीं किया गया है। जिससे नगर के ही कुछ झोलाछाप डॉक्टर के क्लीनिक में जाकर लोगों को एक्सरे के लिए बाध्य किया जा रहा हैं। जबकि उनके पास एक्सरे मशीन चलाने की ना ही अनुमति है, और ना ही कोई एक्सस्पर्ट हैं .. फिर भी संचालित हो रहे हैं. सूत्र बताते है कि इस प्राइवेट लोगों को लाभ पहुंचाने की मंशा से यह लापरवाही चल रही है जबकि अस्पताल में दो मशीने उपलब्ध हैं।

ग्रामीण अंचलों में नहीं जाते डॉक्टर….
विकासखंड के ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाएं शून्य हैं। माचागोरा,टॉप,कुंडा,चाँद,पांजरा सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में डॉक्टरों की पदस्थापना हैं
लेकिन यहां रोजाना ओपीडी नहीं खुलने और समय से पहले बन्द होने की शिकायते सामने आ रही हैं। चाँद में भी महज एक महिला डॉक्टर है।

चौरई से मनोज साहू की ख़ास रिपोर्ट

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