➡ दिल्ली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अब तक का सबसे बड़ा बजट भाषण दिया, इससे पहले 2003 में जसवंत सिंह ने 2 घंटे 13 मिनट का भाषण दिया था. निर्मला सीतारमण का भाषण 11 बजे शुरू हुआ था, जो ढाई घंटे से ज्यादा चला।
खैर वक्त है बदलाव का ? देश की जनता इसी बदलाव के इंतजार में है, लेकिन अब तक बदलाव सिर्फ गिरती जीडीपी में ही दिखाई दे रहा है । आर्थिक मंदी महंगाई बेरोजगारी जैसे बड़े प्रभाव जनता पर पड़ रहे हैं । आम जनता की आय भी गिरती जा रही हैं हर वर्ग और हर क्षेत्र के उद्यमी लगभग दिवालिया होने की कगार पर है कुछ चुनिंदा उधमी परिवारों को छोड़ दें तो देश में हजारों की तादाद में उद्योग बंद हुए हैं । जिसका प्रभाव यह पड़ा कि लाखों लोग बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं, और नए रोजगार का कहीं कोई अता पता भी नहीं है। ऐसे अनेकों विकराल समस्याओं को देखते हुए लगता है कि शायद कुछ इसी तरह के बदलाव के लिए ही इस स्लोगन का इस्तेमाल किया गया होगा! बात हास्यास्पद है लेकिन इससे ज्यादा कोई कुछ कर भी नहीं सकता…….। बाहरहाल हम बात कर रहे हैं बजट की, बजट में टैक्स स्लैब में कुछ राहत जरूर दी गई है लगता है कि सरकार के नुमाइंदों को भी जनता की आर्थिक गिरावट का एहसास होने लगा है । शायद इसी अहसास के चलते टैक्स स्लैब में कुछ कटौती की गई है बाकी का बजट लगभग मिलाजुला ही रहा। खास बात तो यह है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के लिए बजट की प्रतियां ब्रीफकेस में नहीं लाल कपड़े में लपेट कर लाया था!
➡ इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव
- 5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं।
- 5 से 7.5 लाख तक की आय 10% टैक्स।
- 7.5 से 10 लाख तक की आय पर 15% टैक्स।
- 10 से 12.5 लाख की आय पर 20% टैक्स।
- 12.5 से 15 लाख की आय पर 25% टैक्स।
- 15 लाख से ज्यादा की आय पर 30% टैक्स।
बुनियादी बात तो यह है कि इस बजट से जिन्होंने ज्यादा उम्मीद रखी होगी उन्हें टैक्स स्लैब एवं कुछ और अन्य थोड़े बहुत राहत देने वाले बजट से ही संतुष्टि करना होगा।
सेंट्रल डेक्स से ज़ाहिद खान की रिपोर्ट
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