कलम गुलाम नहीं-मोहताज भी नहीं।
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  *गंवारो के घर के झगड़े भी शांत हो जाते हैं,*
           *जब अतिथि घर में आते हैं….*
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         *जब हम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी को देखते हैं तो, सहज ही हमें देश के प्रथम गृहमंत्री लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल याद आ जाते हैं। देश के विभाजन के समय हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर जैसी कई रियासतें आज भारत का अभिन्न हिस्सा है तो सिर्फ और सिर्फ सरदार वल्लभ भाई पटेल की सूझ-बूझ की वजह से। और जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35a को समाप्त करके एक प्रधान, एक विधान,और एक निशान की अवधारणा को साकार किसी ने किया है तो, मैं पूरे गर्व से कहूंगा उसका नाम  श्री अमित शाह जी हैं जो आज भारत के सम्माननीय गृह मंत्री हैं।*
        अमित शाह जी का छिंदवाड़ा आगमन राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि आगामी विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव की दृष्टि से वरदान साबित होगा वशर्त हम उनके मिशन के अनुरूप अपने आप को ढाल पायें।
        पहला झटका, संगठन की ओर से समाचार पत्रों में जारी विज्ञप्ति में जिले के लाडले नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री चौधरी चंद्रभान सिंह को कहीं कोई स्थान ना देना, 2-4 आयातित  नेताओं से शहर को सजा देना जैसे भाजपा के वे आदर्श हों और कार्यकर्ता उनके नेतृत्व में चलने को तैयार हों।
         क्षमा करेंगे *अमर्यादा और उपेक्षा यह संगठन के पोषक तत्व नहीं है।* मुझे यह कहने में कोई दिक्कत नहीं है *आयातित कार्यकर्ताओं पर आप बेशक भरोसा करियेगा, परंतु जन्मजात भरोसे के कार्यकर्ता और नेताओं को हाशिए पर डालने की कीमत पर कतई नहीं।*
      पूरी विनम्रता से… क्या मैं पूछ सकता हूं, संगठन में पड़ी दरार  को पाटने के मिशन पर जो सम्मानित नेता यहां मौजूद हैं…..  वे अपने मिशन में कितने सफल हुए हैं ? तब जब ऐसे शुभ अवसर पर भी आपकी  खुली आंखों के सामने संगठन को बांटने में कोई कसर ना छोड़ी गई हो। छिंदवाड़ा के वरिष्ठ व श्रेष्ठ नेतृत्व को भी हांसिये पर डालने में जरा भी लाज ना आई हो।
        गंवारों के घर के झगड़े भी शांत हो जाते हैं, जब कोई अतिथि घर में आते हैं। पूरी जिम्मेदारी के साथ जवाब दीजिएगा। क्या हम अपनी आधी ताकत के दम पर कोई भी चुनाव जीत पाएंगे। अभी-अभी जिला पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव के  निराशाजनक परिणाम हमारे सामने है।
         सच बताएं, पुलिस ग्राउंड की क्षमता आदरणीय अमित शाह जी के कद के अनुरूप थी क्या ? अमित शाह जी को केवल कार्यकर्ता ही नहीं, जिले की जनता भी सुनना चाहती थी।  सभा स्थल पर जितने लोगों बैठ सकते थे,कहीं उससे ज्यादा लोग सभा प्रारंभ होने से पहले ही वापस लौट चुके थे। बड़ा प्रश्न आखिर श्रोता अमित शाह जी का भाषण सुने बगैर लौटे क्यों? और चालू सभा में 15 मिनट के अंदर ही श्रोताओं ने उठना शुरू किया क्यों ? इसे हल्के में ना लें। इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए।
         जिले की जनता को मूर्ख समझना बंद कर दें। शाह जी की आम सभा 3:00 बजे की थी तो फिर 1:00 बजे की विज्ञप्ति जारी क्यों की गई? जनता ने सहज सीट प्राप्त करने के लिए दोपहर 11:00 बजे से ही आना शुरू कर दिया था। 4 घंटे भीड़ में फंसे रहना जनता के लिए आसान नहीं था। उनका वापस घर लौट जाना ही बेहतर था और वे लौट गए।
        मैं पहले कई बार कह चुका हूं ,बीजेपी आज देश की जरूरत है। इसे गंभीरता से लेते हुए अपने आप में बदलाव करने की आवश्यकता है। परंतु ऐसा होते दिख नहीं रहा है। निष्ठावान कार्यकर्ताओं को लगातार हाशिए पर डालने का कुकृत्य तो किया ही गया है, पूर्व कैबिनेट मंत्री चौधरी चंद्रभान सिंह को भी केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी की आम सभा के विज्ञापन से बाहर कर अपनी हल्की सोच का परिचय दिया गया है।
   पूरी विनम्रता से ,प्रदेश नेतृत्व से,समय की मांग है :–
छिंदवाड़ा जिला भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन कर जिला संगठन की बागडोर किसी संस्कारित व निष्ठावान कार्यकर्ता के मजबूत हाथों में सौंपा जाए और इस प्रकार की गंवारी हर हाल में बंद होना चाहिए। मजबूरी चाहे जो हो,  स्थिति विस्फोटक हो उससे पहले संगठन हित में कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता है। क्षमा करेंगे, समय रहते संभल जाने में ही संगठन हित है।

वायरल पोस्ट के लेखक
दीनदयाल मोहने
लोकतंत्र सैनानी छिंदवाड़ा

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