हर बारिश में बह जाती है फसल…
डैम फूटने से नदी का पानी खेतों में…
नदी के बहाव में कट गया पूरा खेत…
हर साल होता है लाखों की फसल का नुकसान…
इस बारिश में कुंआ, मोटर, पाईप भी कटाव में बहे…
स्टेट डेस्क/छिंदवाड़ा-हाय किसान तेरी यही कहानी… युग बदले लेकिन किसानों के हालात नहीं बदले…. और ना ही नौकरशाहों की अफसरशाही बदली… जनता के पैसों से मिलने वाली लग्जरी सुविधाओं का भोग करने वाले अधिकारियों के मन में गरीब जनता के लिए कोई फीलिंग नहीं होती। और यही वजह है कि अफसरों की चौखट के चक्कर लगा लगा कर फरियादी थक जाता है मगर उसे इंसाफ नहीं मिलता… हमारे धरती पुत्र यानि किसानों की दुर्दशा के पीछे भी कहीं न कहीं भोग विलास वाले अफसर और नेता होते हैं, जिनकी वजह से परेशान किसान आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठाते हैं। मर जाते हैं मगर न्याय नहीं मिलता… आप सोच रहे होंगे कि आखिर मामला क्या है…
तो आइए हम आपको एक ऐसे किसान से रु ब रू कराते हैं जो बीते कई सालों से अफ़सर, नेताओं के पास जा कर आवेदन निवेदन कर रहा है, ताकि उसके बरबाद होते खेत बच सकें… मगर उस किसान की सुनने वाला कोई नहीं है..?
गंभीर बात तो यह है कि निगम अधिकारियों की घोर लापरवाही के चलते किसान के खेत का नदी के बहाव में इतना कटाव हो गया कि खेत का कुंआ भी कटाव में बह गया,,..? और इसके साथ ही कुंए में लगी मोटर पाईप लाईन भी बह गई।
दरअसल छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से लगे इमलीखेड़ा के किसान राधे श्याम माहोरे के खेत से लग कर एक नदी बहती है। जिसपर स्टाप डेम बनाया गया था, लेकिन यह डैम पहली बारिश में एक तरफ से फूट गया, और नदी का पानी खेतों में घुसने लगा। हालात ये हैं कि फसल खराब होने के साथ ही खेत का कटाव भी हो रहा है… आज कई सालों से यही स्थिति है मगर सूचना आवेदन मिलने के बाद भी निगम अधिकारियों ने अब तक सुध नहीं ली… आपको बता दें यह गांव उस समय शहरी क्षेत्र में जुड़ गया, जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छिंदवाड़ा को निगम बनाया था। निगम बनने के बाद लगभग दो दर्जन से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र निगम में जोड़े गए थे। अब हालत ये है कि निगम उक्त स्टाप डेम को दुरुस्त करने को तैयार ही नहीं है। जिसके चलते किसान के खेत बरबाद हो रहे हैं। फसल चौपट हो रही है और खेत भी पानी के बहाव में कटते जा रहे हैं। छिंदवाड़ा निगम अधिकारी हर बार आश्वासन ही दे रहे हैं, मगर समस्या का निराकरण करने की फुरसत उनके पास नहीं हैं।
अब किसान के सामने भूखे मरने की नौबत है। छिंदवाड़ा के अधिकारी इस किसान की समस्या से वाकिफ हैं मगर निराकरण करने की फुरसत नहीं है। जिसके चलते किसान की फसल, और कटाव होते खेत, बारिश के पानी में बह रहे हैं…
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