स्टेट डेस्क/सागर – साहित्य अकादमी सागर द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर काव्य गोष्ठी का आयोजन दो सत्रों में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभात कटारे बुंदेली व्यंग्यकार ने की। मुख्य आतिथ्य आचार्य महेशदत्त त्रिपाठी साहित्यकार ने ग्रहण किया। प्रथम सत्र में साहित्यक चर्चा करते हुए आचार्य महेशदत्त त्रिपाठी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य सृजन मंच ने आचार्य विनोवा भावे से जुड़े हुए सेवाग्राम वर्धा के भ्रमण के संस्मरण रोचक ढंग से प्रस्तुत किये। उन्होंने वहाँ रहने वाले सेवाभावी शिष्यो की जीवनचर्या और विनोवा भावे जी द्वारा बनाये श्रेष्ठ स्मारको की जानकारी दी।
द्वितीय सत्र में सरस्वति वंदना से गोष्ठी का आरंभ डाॅ.नलिन निर्मल ने किया। सुनाया -धवल विचार काव्य सरिता को हंसवाहिनी करें श्रृजित, खिल उठता है काव्य कमल तो मन कहता है लिख-लिख-लिख। शायर मुकेश सोनी मुकेश ने गजल – तल्ख लहजा ये तकरार अच्छा नहीं है, तू बड़ा अब यार बच्चा नहीं है। वरिष्ठ साहित्यकार वृंदावन राय सरल ने अपनी नवीनतम गजल आदमी सब्र से रीते बहुत हैं, शहर में खून के छींटे बहुत हैं, प्रस्तुत की। राष्ट्रीय धरा पर गीत रचने वाले पुष्पेन्द्र दुबे कुमार सागर ने राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत गीत सुनाया वा हमारे भारतीय घरों में वरिष्ठ नागरिक का सम्मान कैसे बना, इस बिषय पर गीत प्रस्तुत किया। युवा गीतकार मुकेश रघुवर तिवारी ने आध्यात्म धरा पर गीत- तुम प्रेम निभाना न जाने, हमें विरह व्यथा कह लेने दो, की सस्वर प्रस्तुति दी। गीतकार डाॅ.नलिन निर्मल ने संचालन के साथ ही गणतंत्र के अठहत्तर वर्ष पूरे होने पर देश में आम नागरिक की सामाजिक धार्मिक एवं आर्थिक कैसी है इस विषय पर कविता सुनायी।
मुख्य अतिथि आचार्य महेशदत्त त्रिपाठी महामंत्री भारत तिब्बत मैत्री संघ ने “काम करें कुछ ऐसे हम बच्चे पढ़-लिख जाये,आनंद घर बने स्कूल सब शिक्षक करें ऐसा जतन” सहजता की कविता सुनाकर सभी को मंत्र मुग्ध किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रभात कटारे ने कविता दर्पण होना बहुत कठिन है तथा सच को सच कहना पड़ता है, व्यंग्य कविताऐ प्रस्तुत की। कार्यक्रम में रामदीन कुर्मी, हिमांशु मिश्रा बीना, सत्यनारायण सेन रजौआ, वीरेंद्र कुमार सेन बीना, विपिन पाठक, राजेन्द्र शुक्ला आदि ने काव्य पाठ का आनंद लिया। उपस्थित लोंगो का आभार मुकेश रघुवर तिवारी ने किया।
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… जाहिद खान (संपादक)
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