स्टेट डेस्क/ भोपाल – दो मंत्रियों के बयानों ने कम से कम मध्य प्रदेश में फ्रीबी कल्चर पर एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री और मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगभग एक हफ्ते पूर्व भोपाल में वन नेशन वन इलेक्शन विषय पर बोलते हुए कहा कि बार बार चुनाव के कारण कई बार वोट दिलाऊ फैसले लेने पड़ते हैं कि यह भी दे दो, वह भी दे दो। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि बार बार चुनाव होने से वोटों के डर से कई बार ऐसे फैसले भी प्रभावित होते हैं जो बच्चों का भविष्य बना सकते हैं और प्रदेश और देश का विकास कर सकते हैं। जाहिर है केंद्रीय मंत्री का इशारा फ्रीबी कल्चर की तरफ था।
इसी तरह अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाने वाले मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल के द्वारा दिए गए एक बयान ने भी समाज में फ्रीबी कल्चर पर सवाल उठाया है। प्रह्लाद सिंह पटेल कुछ दिनों पूर्व राजगढ़ में रानी अवंतीबाई लोधी के प्रतिमा अनावरण के बाद एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जब भी नेता आते हैं उन्हें याचिकाओं की एक टोकरी सौंपी जाती है। उन्होंने कहा कि मांगने की आदत के बजाय लोगों में देने की मनोवृति विकसित करनी चाहिए। मुफ्त उपहारों पर अधिक निर्भरता समाज को मजबूत बनाने की बजाय कमजोर बनाती है। लोगों को भीख मांगने की आदत पड़ गयी है।
उल्लेखनीय है कि जुलाई 2022 में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के वक़्त प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रीबी कल्चर पर जोरदार हमला किया और कहा कि रेवड़ी कल्चर के लोग यह सोचते हैं कि जनता को फ्री की रेवड़ी देकर वो उन्हें खरीद सकते है। उन्होंने जनता का आवाहन करते हुए कहा कि सबको मिलकर इस रेवड़ी कल्चर के मानसिकता को पराजित करना है और देश की राजनीति से इस कल्चर को हटाना है। 2023 में कर्नाटक विधान सभा चुनाव के वक़्त भी प्रधान मंत्री ने रेवड़ी कल्चर पर हमला किया क्योंकि तब उस समय विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने लोगों को 5 गारंटी देने की बात कही जिसमें से एक गारंटी 21 से 65 वर्ष के महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रूपये देने का था। रोचक यह है कि इसके पहले कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस चुनावों से पहले कर्नाटक के तर्ज पर 5 गारंटी लांच करती तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली बहना योजना लागू करके 21 वर्ष से ऊपर की महिलाओं को 1250 रूपये प्रतिमाह से शुरुआत करते हुए 3000 रूपये प्रतिमाह की घोषणा कर दी। भाजपा को पहले से ज्यादा सीटें चुनाव में मिलीं। दिल्ली विधान सभा चुनाव के समय आम आदमी पार्टी को पराजित करने के लिए भाजपा ने 2500 रुपए प्रतिमाह महिलाओं को देने का वादा किया जो कि आम आदमी पार्टी की घोषित धनराशि से 400 रूपये प्रतिमाह ज्यादा है। भाजपा की केंद्र सरकार स्वयं किसानो को प्रधान मंत्री सम्मान निधि के नाम पर 2000 रूपये प्रति तीन माह पर देती है। जब देश के प्रधान मंत्री स्वयं और देश की जनता का एक वर्ग खासकर माध्यम वर्ग चाहता है कि फ्रीबी कल्चर पर रोक लगाई जाय केंद्रीय मंत्री चौहान और मध्य प्रदेश के मंत्री पटेल के बयान एक स्वस्थ बहस की जरूरत की तरफ इशारा कर रहे हैं कि क्या फ्रीबी कल्चर देश के लिए अच्छा है या बुरा।
देश के एक वर्ग का मानना है कि फ्रीबी कल्चर से देश की श्रम शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और राजनीतिक दल समाज की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए ठोस उपाय अपनाने की जगह फ्रीबी कल्चर को एक शॉर्टकट की तरह प्रयोग में ला रहे हैं। अगर स्वयं केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान फ्रीबी कल्चर पर खुल कर बोल रहे हैं तो क्या ये अच्छा नहीं होगा कि भाजपा जिसकी सरकार केंद्र में भी है और कई राज्यों में भी इस कल्चर को ख़त्म करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाए और इसका समाधान निकालने की कोशिश करे। प्रह्लाद सिंह पटेल का कहना है कि उन्होंने जो बयान दिया वह एक सामाजिक कार्यक्रम था और समाज के लोगों को स्वावलम्बी बनाने के लिए उनके आह्वान को विपक्ष और मीडिया ने गलत सन्दर्भों में दिखाया है। पटेल लोध समुदाय से आते हैं और समारोह भी रानी अवंतीबाई लोधी के प्रतिमा अनावरण से सम्बंधित था। जाहिर है कि इस समारोह में लोध समुदाय से भारी संख्या में लोग उपस्थित थे। विपक्ष पटेल पर हमलावर है और उसका कहना है कि पटेल ने जनता को भिखारी बोलकर उनका अपमान किया है। पटेल ने अपना स्पष्टीकरण दे दिया है पर फिर भी उनके बयान से जो कि चौहान के बयान के तुरंत बाद आया है, उस राजनीतिक बहस की आवश्यकता को बताता है कि फ्रीबी कल्चर देश के लिए कितना उचित है और कितना अनुचित।
लेखक :- रंजन श्रीवास्तव (वरिष्ठ पत्रकार मध्य प्रदेश)
KBP NEWS.IN
समाचार विज्ञापन के लिए संपर्क करें- 9425391823