स्टेड डेस्क- मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा से लगा देश के चुनिंदा नेशनल पार्क में से एक पेंच नेशनल पार्क इन दिनों लापरवाह प्रबंधन की भेंट चढ़ा हुआ है। यूं तो पेंच नेशनल पार्क पर्यटकों को लुभाने के लिए प्रकृति का सौंदर्य और बाघों के विचरण के लिए जाना जाता है, लेकिन इन दिनों यह पार्क बाघों की मौत के लिए भी जाना जाने लगा है। इस पार्क में जंगल का राजा खतरे में है यहां एक माह में दो बाघों की मौत हो गई है। गंभीर बात तो यह है कि यहां बकराकसा टापू में एक शावक ऐसा मिला है जिसके आधे शव को मिट्टी की दीमक चाट गई है। लेकिन प्रबंधन को इतने दिन बीतने के बाद भी इसकी भनक तक नहीं हुई। अब प्रबंधन बड़े टाइगर के हमले से मौत होने के साथ 5 दिन पुराना शव बता रहा है।
इसके पूर्व में जिस बाघ की मौत हुई थी प्रबंधन ने इस बाघ की मौत का कारण दो बाघों की आपस की लड़ाई बताया था, वहीं अगर पूर्व में हुए बाघों की मौत पर दिए गए प्रबंधन के जवाबों पर नजर डालें तो उनका कारण भी प्रबंधन के अनुसार आपसी झगड़ा बताया जा रहा था? अब ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर पेंच नेशनल पार्क में बाघ आपस में क्यों लड़ रहे हैं? इसका जवाब भी उन्हें देना चाहिए या फिर प्रबंधन अपनी लापरवाही को छुपाने के लिए यह जवाब दे रही है? ताज्जुब इस बात का है कि, लगातार पेंच नेशनल पार्क बाघों की मौत का गढ़ बना हुआ है लेकिन बावजूद इसके आला अफसरान इसकी जांच रिपोर्ट का खुलासा नहीं कर रहे हैं। इस बीच वर्तमान में एक और बाघ का शव मिला है जिसने प्रबंधन की घोर लापरवाही को उजागर कर दिया है। जानकारों की माने तो यह बाघ 2 या 4 दिन पहले नहीं बल्कि 4 हफ्तों से ज्यादा समय पहले ही मर चुका था तभी तो बाघ के आधे शरीर को दीमक और कीड़े चट कर गए हैं ऐसे में अब सवाल यह भी उठता है कि प्रबंधन की पेट्रोलिंग कहां और कब हो रहे है? हालात इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पेंच नेशनल पार्क प्रबंधन बाघों की सुरक्षा देखरेख करने में असमर्थ है? वरना झील के किनारे बाघ इतने दिन तक मृत अवस्था में पड़ा रहा और उसकी दुर्गंध भी प्रबंधन की नाक तक नहीं पहुंची? देखना यह है कि इस संबंध में अब प्रबंधन का जवाब वही पुराना रटा रटाया होता है या फिर कुछ नए जवाब की तलाश होगी….! वहीं आला अधिकारी इस गंभीर मामले में पहले की तरह ही एसी चेंबरों का आनंद लेते रहेंगे या फिर ऐसी चैंबर से बाहर निकल कर इस मामले की निष्पक्षता से जांच कर, जांच रिपोर्ट को उजागर करेंगे? यह वक्त बताएगा।
सिवनी से अब्दुल वाहिद खान
कंटेंट एडिटर